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________________ पाठ 43 वर्तमान कृदन्त - प्राकृत में 'हँसता हुआ', 'सोता हुआ', 'नाचता हुआ' आदि भावों को प्रकट करने के लिए वर्तमान-कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। क्रिया में निम्नलिखित प्रत्यय लगाकर वर्तमान कृदन्त बनाये जाते हैं। वर्तमान कृदन्त-शब्द विशेषण का कार्य करते हैं । अतः इनके लिंग (पुल्लिग, नपुंसकलिंग, स्त्रीलिंग), वचन (एक, बहु) और कारक (कर्ता, कर्म आदि) विशेष्य के अनुसार होंगे । इनके रूप पुल्लिग में 'देव' के समान, नपुंसकलिंग में 'कमल' के समान तथा स्त्रीलिंग में 'कहा' के समान चलेंगे । वर्तमान कृदन्त अकारान्त होता है । स्त्रीलिंग बनाने के लिए कृदन्त में 'पा' प्रत्यय जोड़ा जाता है तो वह शब्द आकारान्त स्त्रीलिंग बन जाता है। (क) क्रियाएँ णच्च-नाचना, जग्ग-जागना, . वर्तमान कृदन्त के प्रत्यय हस गच्च जग्ग न्त हसन्त =हंसता हुआ णच्चन्त =नाचता हुआ जग्गन्त =जागता हुआ माण हसमाण हंसता हुआ णच्चमाण=नाचता हुआ जग्गमाण जागता हुआ (i) वाक्यों में प्रयोग विशेष्य : पुल्लिग, एकवचन, प्रथमा विभक्ति (कर्ता कारक) __(वर्तमान कृदन्त) (सभी कालों में) नरिदो हसन्तो/हसमारणो उट्ठइ/आदि =राजा हंसता हुआ उठता है । (वर्तमानकाल) नरिंदो हसन्तो/हसमाणो उट्ठउ/आदि =राजा हंसता हुमा उठे। (विधि एवं आज्ञा) प्राकृत रचना सौरभ ] [ 89 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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