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मति
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ऊर्ध्व लोक
नेता
1.वि.+300E १०.वि. ee
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रीत्रिकee
मुण्ड नायत भुमानम, मुदर्शन
प्रिय दर्शन, अमोध २८ पहिपत : जोधा
१११ विमान
-..-.
प्रतर अग्युत
दोनों आरण
.
वि.
प्रता
जाणत प्रतर
दाना ४००नि ਮੁੱਖ
| महाका
इस नक्शे में ऊर्ध्व (ऊपर के) लोक का चित्र दर्शाया है। इसके मध्य में जो गोलाकार आकृति के अन्दर आड़ी लकीरें हैं वे ही देवलोक की प्रतरें समझना चाहिए, और उन प्रतरों में ही देवताओं के विमान हैं, जिनकी संख्या वहां जगह नहीं होने से दोनों बाजू दी गई हैं, किन्तु दोनों बाजू आकाश सूक्ष्म स्थावर बादर वायु काय के सिवाय कुछ भी नहीं है, देवलोक का विस्तार से वर्णन ग्रन्थ में दिया है।
६
लांना
-
-
------ 0000.वि.
----- प्रना ।
.-.-------- --- मायक कथनगी
.
.
प्रता
पानत्कुमार
प्रना
।
०००
विमान
.
गार
सोधर्म
आदित्य
२ अच्चिमालि.
१ अच्चि ..
* ८ सुपइट्ठाभं.
वहि
Peht
Prit
३ वैरोयणं.
नव लोकांतिक देव के विमान
Aअरिष्ट
९ रिट्ठ.
गर्दतोय
वरुण
अव्याबाध
* ४ प करं.
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तुषित
प
कव्हराई - कृष्णराजी
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