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नं. १३७४
अंत : इति प्रकीर्णावचूरि श्रीगुणरत्नसूरिकृता ।।छ।। शुभं भवतु ।। कल्याणमस्तु ।।
श३आत : अर्हं चतुःशरणविषमपदविवरणम् । सह अवधेन....
ભાંડારકર ઓરિએન્ટલ રીસર્ચ ઈન્સ્ટીટ્યૂટ - પૂના
मानवकाव्य
दिन करिष्यामीमा मानसि
मनदर्शना
सायंकनका
कशा काय दयामाया
सामादिकादीनामपदम दारिद्र शासनाद शादी सामायिक इति सामान काम कम विद्या सामान्यविमानमा या सामानानि सान्यामा किनकि
मान
नदर्शनास
नवविनकितना
द्यात करा दायागु स्वयां कार्जन वन ताकि छोरा गादिजया जिना शाल तातिना विनाला का कराजिनामा निर मादायांम्राधानिक वक्षाय सामान्याक दलि शनिवार विश्वद्विरिदाना ज्ञाना वार शुद्धिमाद्नादिज्ञानानाए । हातनः। श्रादिय दाता दर्शनावा रिचावा राहा याता ज्ञान वा नरिदर्शन वारिच सुकर, वदनप्रतिज्ञानदा खादाया या वारिवरही नारामा वंदन का रामं दमा दायर करना नविधिना रामरामेनारिया नायः रातारात तिपादिदान प्रतिक मानिसमा दिनानामन
करा त्या मानवितदिनादिमायेत नमिता करिष्यामीतिरक नितिमा का दिना दन दन किमी किनारा मतितितिक्रामतिवादितानमादिकाः कर्म क्रमप्रायशि नाशनादनादिना तासिकेसा
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यता का मारा रानाच्या समजावाद सेनानी स्वायतनं समाज का लान तिम्मेदव कमेष्टि स्वामीरात वातावातावानामा कर्म समाधा संयमतापनि समावयवनकानन कृतइति साम्याचा तिसरा पत्यादि परिमितासारनिघानः प्रारदारादिमाकरण र कनकता जति श्राघाटात दाखमदिनमा दाम नास्पतिसा कि मलायनयनामा
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दाविनोदाममंदि
मामला लिया
मदा मुनादिजयकारा दाता दायाख्या संघमुकुटासाला दिवाना करक टःस्वपदिकृत विश्व एवा सिमाना दिशाब न कामय्वयका निकाः किरण सोननंबासो
गोर कालमरण शिलायाक व त्रिनिमडक्य
सादावति वा नविका शिवातः। १०डा गलाग ॥ दददाता मंत्रित्वकालावियां का
गाजिनादिनमा दविंद्र का
कलमाता ज्ञान व सामाः परिक्ष
उत्नमाला गतः। १२१५ शव का मया निष्टुताः खनाः निस्तारक गाजे माडासमा नारा दिप्रो दागा कं मारा दंति हम सुख स्पा मुक्ति सातारकररिकता 100
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