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जयन्तीप्रकरणवृत्तिः । गाथा २३
सिरिहिरिधिईकित्तिओ बुद्धी लच्छी य होंति अट्ठ | नंदा भद्दा य तला झयवयनाडाई अस्से य ॥७९२॥ हत्थी जाणा जग्गा जंपा सीआ तह संदमाणगिल्लीओ । थिल्लो य वियडजाणा रहगामा दासदासीओ ॥७९३॥ किंकरकंचुइमहयरवरिसधरे तिविहदीवथाले य । पाईथासगपल्लगकयवियअवएडयअवक्का ॥ ७९४ ॥ हंसे कुंचे गरुडे उणय पणए य दीहभद्दे य । पक्खे मरे पउमे होइ दिसासोत्थिएकारे ॥७९५॥ तल्ले कोट्ठसमुग्गा पत्ते चोए य तगरएला य । हरियाले हिंगुल मणोसिला सासवसमुग्गे ॥ ७९६॥ खुज्जा चिलाइवामणिवडभीओवच्चरीवडसियाओ । जोणियपल्हवियओ ईसीणीया थारुइणिया य ॥ ७९७ ॥ सासियल उसियदमिणी सिंहली तह आरबी पुलिंदी य । पक्कणिवहलिमरुंडी सबरीओ पारसीओ य ॥७९८ ॥
छत्तधरीचेडीओ चामरधरतालयंटयधरीओ | सकरोडियाधरीओ खीराइ पंचधाईओ ॥ ७९९॥ अट्टंगमद्दियाओ उम्मट्ठिगन्हविगमंडियाओ य । वन्नयचुन्नयपीसियकीलाकारी य दवकारी ॥८०० ॥ उत्थावियाओ तह ताडइल्लकोडुंबिणी महाणसिणी । भंडारिणब्भवारिणी पुप्फधरी पाणियधरी य ॥८०१ ॥ बलिकारियसेज्जाकारियाओ अब्यंतरीओ बाहिरिया । पडिहारिमालहारी पेसणकारिउ अट्ठति ॥ ८०२ ॥
कुमरो वि पिययमाणं कोडिं सुवन्नाइयाण एगेगं । वियरइ तह नंदाइयमन्नं पि य देइ अइबहुअं ॥८०३॥ पंचप्पयारभोगोवयारसहयारमाहवसिरीहिं ।
अट्ठहि रामाहिं समं विलसइ सग्गे सुरिंदु व्व ॥८०४॥ गराएणं तेणं निच्चलचरणेण जीवकरुणाए । भोगफलं जं पुन्नं समज्जियं तं महच्छरियं" ॥८०५॥ [ ]
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