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१४/१००-१०२
१४/१०३ १४/१३५
१४/१४३ १४/१४५-१५० १४/१६१-१७८ १४/१९२-१९८ १४/२०६-२२२ १४/२२३-२२६ १४/२८७-२९० १४/३२१-३२४ १४/३३३-३३६ १४/३४२-३५०
जिणबिंबकारीणं फलम् ॥ जिणपडिमापूजाफलम् ॥ अरहंतसरूवम् ॥ अट्ठविहपूयप्पगारम् ॥ पभावई सिरिवद्धमाणं थुणइ ॥ वीरनाहजिणपडिमस्स नयरपवेससरूवम् ॥ पभावईअ संसारविरत्तचितं जायम् ॥ पभावईदेवीजीवो नरवइपबोहहेउं आगंतुं विरयइ उवायम् ॥ मुणीहिँ नरवरस्सोवदेशः ॥ गिम्हरिउवण्णणम् ॥ पाउसरिउवण्णणम् ॥ कसायचाएण पज्जुसणापव्वणो पडिक्कमणं सुज्झउ ॥ उदायणो पक्खियपव्वे पौषधे धम्मजागरणम् ॥ चरमरायरिसी उदायणो पव्वज्जाग्गहणं, पज्जंते विहिणा अणसणं,
खवियकम्मो उदायणो पावियकेवलनाणो निव्वाणपुरम्मि संपत्तो ॥ [३] धर्मगुणद्वारे कामदेवश्राद्धदृष्टान्तः
कामदेवइड्डिसरूवम् ॥ वीरजिणसमवसरण-पाडिहेरस्वरूपम् ॥ वीरजिणधम्मोवएसो ॥ सिरिवीरजिणसयासे कामदेवगिही बारस वयाइं गिन्हइ, तस्स सरूवम् ॥ गिहिधम्मफलम् ॥ कामदेवस्स तत्ताण विसयम्मि निउणमई संजाओ ॥ सावयपडिमास्वरूपम् ॥ कामदेवपंचमपडिमकए पोसहसालाए एगागी रहिओ, सक्कपसंसा, देवेहि उवसग्गतिगेणावि न पुणो चलिओ ॥ कामदेवस्स निम्मलसत्तेण रंजिओ देवो पुणो पुणो वि संथविओ ॥ कामदेवसवो सिरिवीरं संथुणइ ॥ वीरनाहो साहुसाहुणीवग्गं आमंतीय अणुसट्टि दिन्नं ॥ कामदेवसड्डो मासेण समाहीए कालं कुणइ, सोहम्मे
अरुणाभम्मि विमाणे महिड्डीओ देवो जाओ ॥ [४] धर्मदोषद्वारे नन्दमणिकारश्रेष्ठिदृष्टान्तः
वीरनाहो गुणसिलए चेइए समवसरिओ, सेणियनरवइणा सद्धि नंदमणियारो सिट्ठी वि पत्तो ॥
१४/३६४-३९३ १७/१-१७७
१७/७-१२ १७/१३-४८ १७/५४-५८ १७/६५-८२ १७/८३-८४ १७/८६-९३ १७/९४-१०१
१७/१०४-१३९ १७/१४०-१४५ १७/१५२-१६० १७/१६६-१६८
१७/१६९-१७३
२१/१-१९७
२१/५-१५
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