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________________ पंचमो उद्देस ४९ सपरियणो विनिग्गओ वंदणवत्तियाए वइरदत्तचक्कवट्टी, सायरदत्तकुमारो वयंसयपरिवारिओ सह महिलावंद्रेण । पत्ता य सव्वे गुरुसमीवं । वंदिओ भयवं अणेहिं । धम्मलाहिया गुरुणा, पुच्छिया य सरीरपत्ती । विणयपणयोत्तमंगेहिं 'भयवं ! अज्ज कुसलं तुम्ह चलणदंसणेणं' ति भणमाणा उवविट्ठा गुरुचलणंतिए । पत्थुया भगवया धम्मदेसणा " एत्थ नरनाह ! नवरं, चउगइसंसारसागरे घोरे । धम्मो जइ वरसरणं, जिणभणिओ होइ जंतूणं ॥ ७८ ॥ सो य धम्मो इमेण कम्मे (मे)ण अइदुल्लाहो हवइ । जओ भणियमागमे भगवया"माणुस्सखेत्तजाईकुलरूवारोग्गमाउयं बुद्धी । 11 समणोग्गहसद्धा संजमो य लोगम्मि दुलहाई ॥७९॥ [ उत्त.नि./गा. १५९] किमिकीडकुंथुकीलियअणेयभेएसु तिरियनरएसु । उप्पज्जंति मरंति य, जंतू न य जंति मणुयत्तं ॥८०॥ अह कहवि होइ तंपि हु, नवरं मेच्छेसु पुन्नरहियाणं । धम्मरहियाण जम्मो, तिरियाण व जत्थ अहमरो ॥८१॥ पावइ जइ विहु खेत्तं, निंदियअहमासु तिरियजाई । उप्पज्जइ कयपावो, मरिउं नरए जहिं जाइ ॥८२॥ जाइविसुद्धो वि पुणो, उप्पज्जइ तुच्छपक्कणकुले । अहमाण वि अहमयरो, पावपसत्तो सयाकालं ॥८३॥ पत्ते वि कुले जायइ, अंधो बहिरो य पंगुलो लल्लो । कुंटो मंटो मडहो, धम्मस्स न होइ जह जोग्गो ॥८४॥ रूवकलिओ वि जायइ, रोगावासं पुणो वि अह नवरं । वाहिसयदुक्खतविओ, वीरियहीणो सयाकालं ॥८५॥ आमयरहिओ वि पुणो, जायइ बत्तीसलक्खणो जइ वि । आउक्खएण नवरं, विहडइ बालो कुमारो वा ॥८६॥ उक्किआउयस्स य, नरस्स मिच्छत्तमोहियमइस्स । जइ जंतु वच्छलम्मी, जिणधम्मे जायइ न बुद्धी ॥८७॥ Jain Education International 2010_02 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002554
Book TitleJambuchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay, Chandanbalashree
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2009
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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