________________
[३] तृतीयं परिशिष्टम् ___जंबुचरिये अपभ्रंशश्लोकानामकाराद्यनुक्रमः ॥
पद्यांशः कद्दइल्लु जइ पउमनालु गइयह मुइयह दड्डियह जइ जाणउं सुहं माणउं डहणसीलु जइ तत्थ पर जलणु ता खलइ वलइ झूर ता हसइ रुयइ झिज्झइ धणिय कुलीणी धरि सरइ निन्नेहो जइ खलो जि तहिं सा मुद्धा ताहिं देसडइ वंसि चडंति धुणंतिकिर
श्लोक-पत्राङ्कः
६ / ७८ १२ / १८७ ८१ / ३५
७ / ७८ २५ / २६ / २७ १५ / १८०
५ / ७८ २७ / २७ ६७ / ३३
Jain Education International 2010_02
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org