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संकोडियंगमंगो संपइ बालत्तणए संमत्तं उवसममाइएहिं संसारम्मि असारे सा सामग्गी कत्थ व सिद्धस्स हो रासी सिंभो लाला वयणे सीले खाइयभावो सुणणं दसणं चेव सुनिबद्धबंधणाई सुयणस्स विहलियस्स वि सुयणस्स विहलियस्स वि सुयणो न याणइ च्चिय
२१।१८९ | सुयणो न रूसइ च्चिय २२।१८९ | सुयणो सुद्धसहावो
५६८५ | सुरगणसुहं समत्तं १०९।३९ / सुरनरनिरयतिरिक्खेसु २५७७३ सुरयं च रागजणणं ३५०।२१८ | सो अत्थो जो अ(ह)त्थे ३११।२१५ | सो अत्थो जो हत्थे ५८४।२३८ | सो च्चिय कीरइ मित्तो ६८३।२४६ | सो य तवो कायव्वो ६५।१९४ ४४।१८२ | हा हा जीव ! अलज्जिर ! २९४७६ | हीणभिन्नस्सरो दीणो ३७।१६९ | होइ बले वि य जीयं
जंबुचरियम्
१९६४ ३४।१०९ ३४९।२१८ ११४।१५६ १३४।२०० २६।१८१ ४६।१८२ ४५।१८२ ७२८।२५०
४३।४५ ३३५१२१६ ५८३।२३८
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