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________________ श्री आत्म वल्लभ समुद्र इन्द्र सद्गुरुभ्यो नमः सत्यदीपक कीज्वलन्त ज्योत ले. डॉ. किरणयशास्त्रीजी म. संस्करण प्रथम प्रति-१००० वीर सं.-२५२५ विक्रम सं. -२०५५ इ.स.-१९९९ जनवरी सर्वाधिकार स्वाधीन टाईप सेटींग्स : श्री कोपी सेन्टर बडौदा. मुद्रण : श्री मधु प्रिन्टरी भद्रकाळी माताकी पोल, रावपुरा, बडौदा. १. श्री प्रा दान दाता १. श्री आत्मानंद जैन उपाश्रय, आत्मानंद जैन जानी शेरी, बडौदा. का | २. श्री महिला जैन उपाश्रय उपाश्रय, २. श्री महिला जैन उपाश्रय जानी शेरी, जानी शेरी, बडौदा. स्था बडौदा ३. श्री गौतमकुमार मोहनलाल शाह (एस्ट्रोलोजर) बावामढी लेन, देसाई शेरी, बडौदा. लेखिका परिचय : प.पू. पंजाब केसरी, कलिकाल कल्पतरु, युगदृष्टा, युगवीर आचार्य प्रवर श्रीमद्विजय वल्लभ सूरीश्वरजी म.सा. के पट्ट परम्परक वर्तमान गच्छाधिपति, प.पू. परमार क्षत्रियोद्धारक, जैन दिवाकर आचार्य प्रवर श्रीमद्विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वर जी म.सा. की आज्ञानु वर्तिनी साध्वीरत्न प्रात:स्मरणीय, वात्सल्य निधि. प.पू. प्रवर्तिनी (स्व.) कर्पूरश्रीजी म.सा. की अंतेवासी, ज्ञान-पिपासु, मधुरभाषिणी प.पू. (स्व.) विनोद म.सा. की सुशिष्या, परमोपकारी, सरल हृदयी, प.पू. यशकीर्तिश्रीजी म.सा.की चरणरेणु डॉ. किरणयशाश्रीजीने यह शोध प्रबन्ध परम श्रद्धेय, कृपावर्षी, शांत तपोमूर्ति प.पू. प्रवर्तिनी श्री विनिताश्रीजी म.सा.कीपावन निश्रामें सम्पन्न किया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002551
Book TitleSatya Dipak ki Jwalant Jyot
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiranyashashreeji
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1999
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size22 MB
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