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विषयानुक्रमणिका
क्रम
विषय
श्रीमद्विजयानंद सूरीश्वरजी के हस्ताक्षर श्रद्धेय गुरुवर्यो के आशीर्वचन प्रस्तावना - शांतिदूत श्रीमद्धिजय नित्यानंद सूरीश्वरजी म.सा. प्राक्कथन (अंतर दर्पण दर्शन) डॉ. किरणयशाश्रीजी म. प्रासंगिक हार्दिक समर्पण
पर्व-1. जैनधर्म एवं भ.महावीरकी परंपरामें श्री आत्मानंदजी म.का स्थान.
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मंगलाचरण जैन धर्म - सामान्य परिचय एवं परिभाषा जैनधर्म के पर्यायवाची अन्य नाम - (परूपकाश्रयी) आर्हत् धर्म: (सैद्धान्तिकाश्रयी) सत्धर्म, स्याबादधर्म, अनेकान्त धर्म, शुद्ध धर्म; (क्षेत्राश्रयी) विश्वधर्म: (कालाश्रयी) शाश्वत धर्म; (भावाश्रयी) अहिंसाधर्म, मानवधर्म; (आराधकाश्रयी) निर्ग्रन्थ धर्म, श्रावक धर्म ।
जैन धर्मकी शाश्वतता का स्वरूप - (शाश्वतता के साक्षी), व्युत्पत्त्यार्थ छ निक्षेपाधारित प्रामाणित शाश्वतता - षद्रव्य एवं त्रिपदीका स्वरूप परिचय - आगमोद्धरणों से शाश्वतता की सिद्धि - कालचक्र एवं छ आरा स्वरूप - द्वादशांगी परिचय ।
जैनधर्मकी ऐतिहासीक परम्परा - बीस विहरमान जिनेश्वर-भरतक्षेत्र की वर्तमान चौबीसी के जीवन चरित्रांतर्गत जैनधर्मके प्रमुख दस आश्चर्य - चौबीस तीर्थंकरों के जीवनवृत्त की तालिका - भगवान महावीरजीका शासन - सिद्धान्त एवं व्यवहारका समन्वय - जिन शासन के स्वर्णाक्षरी पृष्ठों के आधार स्तंभ - पारलौकिक साधनापथका आलेखन - सर्वज्ञके ज्ञान प्रवाहकी गंगोत्री - जैनाचार्यों की परहिताय प्रवृत्ति - समस्त संसारी जीवों के लिए पंचव्रतोंकी उपयोगिता - भगवान महावीरजीकी शिष्य पट्टावलि (परम्परा) निष्कर्ष ।
पर्व-२. श्री आत्मानंदजी महाराजजी का जीवनतध्य -
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गुणागारका प्रास्ताविक परिचय - तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियाँ - शिशु आतमका क्षत्रियकुलमें अवतरण - पारिवारिक सुखमें झुलता बचपन - पितृवियोग - जोधाशाहजीके घर परवरिश - व्यक्तित्व: लाखो में एक ढूंढक दीक्षा ग्रहण - ज्ञान पिपासा तृप्ति एवं संयमाराधनार्थ सतत परिभ्रमण और अथक परिश्रम - सत्यकी झाँकि और श्रीरत्नचंद्रजीका विशिष्ट सहयोग - ढूंढक मत त्याग
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