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________________ ॐ ह्रीं अर्हम् नमः पर्व चतुर्थ -: श्री आत्मानन्दजी महाराजजीकी अक्षरदेहका परिचय : “योगाभोगानुगामी द्विजभजनजनि शारदारक्तिरक्तो, दिग्जेताजेतृजेतामतिनुतिगतिभिः पूजितोजिष्णुजिह्वैः । जीयादायादयात्री खलबलदलनो लोललीलस्वलज्जः, Jain Education International केदारीदास्यदारी विमलमधुमदो द्दामधामप्रमत्तः ।। " साहित्य परिचय- विद्वानों के विचारोंसे दार्शनिक सिद्धान्त और धार्मिक आचार मध्य पार्थक्य माना गया है, जबकि कई विद्वान इन दोनोंकी दिखाई देनेवाली भिन्नताको, जीवन व्यवहार में व्यवस्थित रूपसे, परस्पर अंतर्भूत करके क्षीर-नीरवत् अभिन्न स्वरूपको प्रदर्शित करते हैं। जैनधर्म और दर्शनका ऐसा ही क्षीर-नीरवत् स्वरूप हमें जैन संस्कृति-समाज साहित्यका निदर्शन करने पर दृष्टिगोचर होता हैं। संविज्ञ शाखीय आद्याचार्य पू. श्रीमद्विजयानंद सुरीश्वरजीम. सा. जैन साधु थे । यही कारण है कि आपके साहित्योद्यानमें वैविध्य सभर, आत्मिक तुष्टि पुष्टिकारक, जीवनप्रदायी, आह्लादक, सुरभि कुसुमोंसे अलंकृत प्रत्येक कृति बेलोमें जैनत्वकी ही सुवास महकती है। इस साहित्योद्यानकी एक-एक कृतिबेलिका परिचय, वैविध्यता और वैचित्र्यताके वैभविक रसथाल स्वरूप आत्म संतुष्टिकारक पीयूषपान करवाता है। कहीं पर समाज रूपी ठोस मिट्टी में श्रांत बनकर तबाह होनेपर तुले हुए दार्शनिक सिद्धान्तरूपी मूलों को अमृतमय सिंचनसे पुनःदृढीभूत बनाने के प्रयास हैं, तो कहीं जैन संस्कृतिके आचारोंकी दुरुस्तीजीर्णोद्धार और नव्यरूप प्रदानका प्रयास दृष्टिगोचर होता है। " जैन तत्त्वादर्श” जैसी भव्य कृतिमें इन दोनोंके सामंजस्यके दर्शन होते हैं। " आवश्यकता ही आविष्कारकी जननी है"- इस लोकोक्तिको चरितार्थ करनेवाली इन कृतिबेलों से शाश्वत जैन धर्मके दार्शनिक, सैद्धान्तिक और आध्यात्मिक एवं तत्कालीन धार्मिक, ऐतिहासिक, सामाजिक, नैतिक आदि पुष्प परिमल महक रहा है। गद्य साहित्य सारिणी--- आपके पट्ट विभूषक और चरणानुगामी- अंतेवासी प. पू. श्रीमद्विजयवल्लभ सुरीश्वरजी म. सा. द्वारा विरचित जीवनवृत्त 'नवयुग निर्माता' के परिशिष्ट २में इन कृतियोंकी सारिणी 126 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002551
Book TitleSatya Dipak ki Jwalant Jyot
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiranyashashreeji
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1999
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size22 MB
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