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राशियों का सामान्य स्वरूप-परिचय उपरोक्त तालिका से ज्ञात हुआ।
संपूर्ण आकाशको चक्र स्वरूप असत् कल्पना करके, ३६° का मानकर उसके बारह विभाग किये जाते हैं। अतएव प्रत्येक विभागको तीस अंश प्राप्त होते हैं। उन विभागोंको ही राशि संज्ञा दी जाती है। मेषादि बारह राशियाँ मानी गयी हैं।
राशि--यह ग्रहोंका फलक अथवा विहार स्थान है। जैसे श्वेत परदे पर रंगीनचित्र उभार पाता है वैसे ही किसीभी ग्रहकी निजी सत्ता और शक्तिके निखारका सम्पूर्ण आधार राशि पर निर्भर है । अतएव राशि विषयक ज्ञान आवश्यक बनता है ।
इसतरह प्रत्येक स्थान व राशिके स्वरूपका सामान्य परिचय प्राप्त कर लेनेके पश्चात् अब कौनसी राशि, कौनसे स्थानमें विशिष्ट रूपसे कौनसा फल प्रदान करती है यह निम्न तालिकासे स्पष्ट करते हैं ..५ मेष राशि वृषभ राशि
मिथुन राशि प्रथम (लग्न) कफ प्रकृति, क्रोधी,
हृदयरोगी,दुःखी स्वजनों स्त्रीमें प्रीति, राजासे पीड़ा मंदबुद्धि, कृतघ्नी, स्त्री
से अपमानित, मित्रका वियोग, . चाकर, गौरवर्णी, मीठी नौकरादिसे पराजित,
शस्त्रसे घात पाये, कजियाखोर, जबानवाला, आनंदी, योगी, लालवर्णी, स्थिरता धारक धनका नाश पानेवाला
गायक, द्वितीय पुत्रवान, नीतिवान, खेती करनेवाला, सुखी,
स्त्रीके धनका भोगी. (धन). अच्छा पंड़ित, सुखी,
जौहरी के व्यवसायसे सुखी अच्छे मित्रोवाला, सुखी, अच्छे कार्यसे धन पानेवाला बलवान
अलंकारादि पहननेका शोकीन तृतीय
धार्मिक,अनेक विद्यावान, इज्जतवान, पंडित, प्रतापी, सत्यवादी, उदार, कुलवान, (पराक्रम) राजादिसे पूजनीय,
राजा के साथ मैत्री,
राजाका पूजनीय, स्त्रीका परोपकारी धनवान, यशस्वी, कवि
वल्लभ, श्रेष्ठ सवारीवाला चतुर्थ पशु और स्त्रीसे सुखी व्रत-नियमादि से सुखी,
वन्यपदार्थ, फूल, वस्त्रादिके (सुख) आप कमाई भोगनेवाला
राजा का सेवक, पराक्रमी व्यापारसे सुखी, अच्छा पूजनीय
तैराक, स्त्री धनका भोगी पंचम प्रिय पुत्रयुक्त चित्तवाला, सुंदर, संतान रहित, पति मन वांछित सुख प्रापक, (तनय) देवादि अन्योंसे सुखी, धर्ममें तत्पर, शोभायुक्त,
गुणवान, बलवान, स्नेहल पापी एवं व्याकुल चित्तवाले लडकियोंवाला होता है। स्वभाववाला, पुत्र सुख के परिचय करनेवाला
पानेवाला षष्टम अनेक शुत्रवाला होता बंधुवर्गमें एवं पुत्रवधुओंसे स्त्री, पापी, वैश्य, नीच, (रिपु)
वैर होता है।
मनुष्योंके संगसे-उनके
कारण वैर बांधता है। सप्तम कूर, दुष्टा, पापी, कठोर रूपवती, नम्र, पतिव्रता,
धनवान, गुणवान, रूपवान, (जाया) हृदया, घातकी धनलोभी, सद्गुणी अनेक संतानवाली, विनयवान, धार्मिक वृत्तिवान
इच्छित कार्य सिद्ध करनेवाली देव-गुरु भक्तिकारी स्त्रीका होता है। उसे गुणरहित -स्त्रीका पति होता है। पति होता हैं।
पत्नी मिलती है। अष्टम परदेशमें दुःखदायी बात कफ विकार, भोजन-विकार, दुष्ट संगत, लाभोत्पन्न, (आयु) श्रवणसे मूर्छा या रोगसे पशु या दुष्टजनोंके संगमें रसोत्पत्ति, गुप्तरोग, हरस, मृत्यु होता है। स्वदेशमें रात्रीमें मृत्यु
डायाबिटिस (प्रमेह) धनवान होने परभी पाता है।
आदि रोगोंके कारण मृत्यु पाता है।
दुःखी
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