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| तृतीय वर्गणा का अर्थ तीन तीन परमाणुओं के समूह । ऐसे अनंत परमाणुओं के समूह रूप परमाणुसमूह का समावेश औदारिक वर्गणा में होता है । इसी औदारिक वर्गणा के प्रत्येक परमाणुसमूह में अनंत परमाणु होते हैं । और उससे ही वर्तमान विश्व के प्रत्यक्ष दिखाई पड़ने वाले प्रायः सभी पदार्थ बने हैं |
इन वर्गणाओं के परमाणुसमूह में जैसे-जैसे परमाणुओं की संख्या बढती है वैसे-वैसे उसमें परमाणुओं का परिणाम ज्यादा ज्यादा सूक्ष्म होता जाता है | वर्तमान सजीव सृष्टि या देव और नारक को छोडकर सभी जीवों के शरीर इसी औदारिक वर्गणा के परमाणुसमूह से निष्पन्न हैं । औदारिक वर्गणा में स्थित परमाणु बहुत ही स्थूल है ।
जबकि वैक्रिय वर्गणा के परमाणुसमूह में इस औदारिक वर्गणा के परमाणुसमूह में स्थित परमाणु से ज्यादा परमाणु होते हैं । अतः स्वभावतः उसका परिणाम ज्यादा सूक्ष्म बनता है ।
तीसरे क्रम में आनेवाली आहारक वर्गणा के परमाणुसमूह में वैक्रिय | वर्गणा के परमाणुसमूह से ज्यादा परमाणु होते हैं । अतः वे ज्यादा घन व सूक्ष्म होते हैं । इस आहारक वर्गणा के परमाणुसमूह का उपयोग विशिष्ट | प्रकार के ज्ञानी साधु-संतपुरुष ही कर सकते हैं । वर्तमान समय में इस पृथ्वी पर ऐसे कोई ज्ञानी संत पुरूष नहीं है, अतः इस वर्गणा के | परमाणुसमूह का कोई उपयोग नहीं है ।
उसके बाद चौथे क्रम में आयी तैजस् वर्गणा के परमाणुसमूह में स्थित परमाणु ज्यादा सूक्ष्म होते हैं । और प्रत्येक सजीव पदार्थ का सूक्ष्म शरीर इसी वर्गणा के परमाणुसमूह से निष्पन्न है । इस वर्गणा के परमाणुसमूह का | मुख्य कार्य उसी सजीव पदार्थ के शरीर में आहार का पाचन करना है और उससे भूख लगती है । बाद में उससे भी ज्यादा सूक्ष्म परिणामवाले | परमाणुओं के समूह स्वरूप भाषा वर्गणा है । इस वर्गणा के परमाणुसमूह का | उपयोग केवल प्राणी ही कर सकते हैं । किन्तु वनस्पति इत्यादि जिनको केवल एक ही इन्द्रिय है वे इस भाषा वर्गणा के परमाणुसमूह का उपयोग | नहीं कर सकते हैं । संक्षेप में, आवाज भी पौद्गलिक है ।
श्वासोच्छ्वास वर्गणा के | परमाणु से ज्यादा सूक्ष्म है
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परमाणुसमूह के परमाणु, भाषा वर्गणा के । इनका उपयोग सजीव सृष्टि के सभी जीव
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