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आराधना प्रकरण
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अन्वय : गद्दहा, कुंथु, जूआ, मंकुण-मकोड-कीडिआई या तेइदिया जं हया तस्स
मिच्छामि दुक्कडं। अनुवाद : क्षुद्र जन्तु विशेष, कुंथु, जूं, खटमल (मंकुण-मत्कुण), मकोड़ा, चींटी
आदि त्रीन्द्रिय जीव जो मेरे द्वारा नष्ट हुए हों, उसके लिए क्षमा याचना करता हूँ। कोलिअ-कुत्तिअ-बिच्छू, मच्छिआ सलह-छप्पयप्पमुहा।
चउरिदिया हया जं, मिच्छामि दुक्कडं तस्स ॥17॥ अन्वय : कोलिअ-कुत्तिअ-बिच्छू मच्छिआ सलह-छप्पयप्पमुहा चउरिन्दिया जं
हया तस्स मिच्छामि दुक्कडं। अनुवाद : मकड़ा, कुत्तिअ (कीड़ा विशेष), बिच्छू, मछली, पतङ्ग, भ्रमर (षट्पद)
आदि प्रमुख चतुरिन्द्रिय जीवों का जो घात हुआ हो, उसके लिए क्षमा याचना करता हूँ।
जलयर-थलयर-खयरा, आउट्टिपमाय-दप्पकप्पेसु।
पंचेंदिआ' हया जं, मिच्छामि दुक्कडं तस्स ॥18॥ अन्वय : जलयर-थलयर-खयरा, पंचेन्दिआ, आउट्टि-पमाय-दप्पकप्पेसु, जं हया,
तस्स, मिच्छामि, दुक्कडं। अनुवाद : जलचर, थलचर और आकाशीय पंचेन्द्रिय जीवों की विशेष अनुष्ठानों में
प्रमाद एवं दर्प के कारण हुई हिंसा (घात) के लिए मैं क्षमा याचना करता
जं कोहलोहभयहास-परवसेणं मए विमूढेणं।
भासिअमसच्चवयणं, तं निंदेतं च गरिहामि ॥19॥ अन्वय : कोह-लोह-भय-हास-परवसेणं मए विमूढेणं जं असच्च-वयणं भासिअं
तं निंदेतं च गरिहामि। अनुवाद : क्रोध, लोभ, भय (और) हास के वशीभूत होकर मुझ मूढ़ द्वारा जो
असत्य वचन बोला गया, उसकी मैं निन्दा करता हूँ एवं गर्हा करता हूँ।
जं कवडवावडेणं, मए परं वंचिऊण थोवंपि।
गिहिअंधणं अदिन्नं, तं निंदेतं च गरिहामि॥20॥ 1. (अ) पंचंदिआ
2. (अ) गिरिहामि 3. (ब) पर
4. (ब) गहिरं
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