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________________ परिचय - आराधना प्रकरण परिचय, प्रतिपाद्य विषय एवं वैशिष्ट्य आराधना प्रकरण नामक पाण्डुलिपि जैन विश्वभारती संस्थान के ग्रंथागार में संग्रहीत है ! प्रकरण ग्रन्थों की परम्परा में यह एक महत्त्वपूर्ण कृति है । यद्यपि यह कृति आराधना के विशिष्ट पक्ष को प्रस्तुत करने वाली होने से प्रकरण कही गई है। मूलतः इसका विषय स्तुतिपरक है। जैन विश्वभारती संस्थान के ग्रन्थागार में संग्रहीत इस पाण्डुलिपि में कुल सत्तर गाथाएँ हैं, जिसकी रचना श्री सोमसूरी द्वारा की गई है। आराधना प्रकरण श्री सोमसूरि का समय निश्चित नहीं है फिर भी इस रचना में अपभ्रंश भाषा का प्रभाव एवं श्री हेमचन्द्राचार्य द्वारा रचित व्याकरण के नियमों को देखते हुए इनका समय लगभग 12वीं शताब्दी के बाद का माना जा सकता है। इनके द्वारा रचित आराधना प्रकरण का बालाभाई, काकलभाई ( अहमदाबाद) द्वारा गुजराती अनुवाद प्रकाशित हो चुका है। इस ग्रंथ की टीकाएँ, जिनमें से प्रथम टीका विनयविजयगणि द्वारा तथा दूसरी विनयसुन्दरगणि द्वारा संपादित हैं । Jain Education International आराधना प्रकरण ग्रंथ में सोमसूरि ने दर्शन, ज्ञान, चारित्र, तप रूप आराधना को भाव परक प्रस्तुत करते हुए इस काव्य का सृजन किया है । यद्यपि प्रकरण ग्रंथ में आराधना के इन चार भेदों का उल्लेख नहीं हुआ, किन्तु भक्ति, समर्पण और आत्म-कल्याण के लिए शरणभूत चतुःशरण के प्रति समर्पित होने के लिए रचनाकार ने इस ग्रंथ की रचना की है। प्रतिपाद्य विषय - ग्रंथ के प्रतिपाद्य विषय को यदि संक्षेप में देखा जाये तो यह कहा जा सकता है कि अपने इष्ट की भक्ति और पूजा हेतु यह ग्रंथ लिखा गया है। श्री सोमसूरि ने आराधना प्रकरण में सर्वप्रथम भगवान् महावीर को प्रणाम करते हुए प्रतिज्ञा की है कि मैं शास्त्र सम्मत आराधना के सम्पूर्ण स्वरूप को कहता हूँ । अर्थात् पूर्वापर आचार्यों से जैसा उन्होंने आराधना का स्वरूप ग्रहण किया था वैसा ही व्याख्यायित करने की प्रतिज्ञा मंगलाचरण में की है। धर्माश्रित व्यक्ति मोक्ष प्राप्ति के लिए अनेक साधनों एवं तपस्या आदि का पालन अपने जीवन में करता है। व्रत, उपवास, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002547
Book TitleAradhana Prakarana
Original Sutra AuthorSomsen Acharya
AuthorJinendra Jain, Satyanarayan Bharadwaj
PublisherJain Adhyayan evam Siddhant Shodh Samsthan Jabalpur
Publication Year2002
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, & Spiritual
File Size3 MB
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