________________
मुणि-सुणीलसायरप्पणीदो
(णीदी-संगहो।
-
प्रस्तुत कृति में मानव समाज के दैनिक उपयोग में आने योग्य कल्याणकारी नीतियों का संग्रह किया गया है। इन नीतियों के अनुसार चलने वाला गृहस्थ निश्चित ही विवेक सम्पन्न, शान्तस्वभावी हो जाता है। चूंकि सभी नीतियाँ सत्पथ प्रदर्शक हैं तथापि उन्हें धर्मनीतियाँ तथा लोक-नीतियाँ; इन दो भागों में विभाजित किया गया है। कृति के अन्तिम पृष्ठों में परमेट्ठि-त्थुदि, जिणिंदत्थुदि, चउवीस-तित्थयर-त्थुदि, भारदी-त्थुदि, तित्थयर-त्थव तथा जय-मंगलं का सुन्दर समायोजन किया गया है ।
नीति-संग्रह
-मुनि सुनीलसागर
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org