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आमुख
श्रीमती प्रीतम सिंघवी की पुस्तक 'समत्वयोग - एक समन्वय दृष्टि' मैंने देखी है । पुस्तक में समत्वयोग - अर्थात् सामायिक की विशिष्ट चर्चा श्रीमती सिंघवी ने की है । सामायिक की विशिष्ट चर्चा के समय उन्होंने कायोत्सर्ग के विषय में जो विवेचन किया है - वह मार्मिक है
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जैनों की क्रियाओं में सामायिक का विशेष महत्त्व है और उस महत्त्व का विशेष विश्लेषण प्रस्तुत ग्रंथ में मिलेगा ।
भगवान् महावीर की विशेषता यही बताई गई है की वे ही एक सर्वप्रथम व्यक्ति हैं जिन्होंने सामायिक का उपदेश दिया । सामायिक का तात्पर्य है- सब जीव समान हैं अर्थात् वे सभी जीना चाहते हैं कोई मरना नहीं चाहता। अतएव भगवान महावीर ने समत्व का अर्थात् अहिंसा पर उपदेश दिया । इस विषय की विशिष्ट चर्चा प्रस्तुत पुस्तक में मिलेगी ।
विश्वास है कि प्रस्तुत पुस्तक सर्वपयोगी होगी और सभी प्रकार के व्यक्ति उसका उपयोग करेंगे ।
ता. ६-२-९६
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दलसुख मालवणिया
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