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________________ पर्युषण पर्वाराधना हेतु स्वाध्यायी आमन्त्रित कीजिए श्री स्थानकवासी जैन स्वाध्याय संघ, जोधपुर विगत ५८ से भी अधिक वर्षों से सन्त-सतियों के चातुर्मासों से वंचित गांव / शहरों में 'पर्वाधिराज पर्युषण पर्व' के पावन अवसर पर धर्माराधन हेतु योग्य, अनुभवी एवं विद्वान स्वाध्यायियों को बाहर क्षेत्र में भेजकर जिनशासन एवं समाज की महती सेवा करता आ रहा है। इस वर्ष भी उन क्षेत्रों में जहां जैन सन्त-सतियों के चातुर्मास नहीं हैं, स्वाध्यायी बन्धुओं को भेजने की व्यवस्था है। इस वर्ष पर्युषण पर्व 24 अगस्त से 31 अगस्त 2003 तक रहेंगे। अतः देश - विदेश के इच्छुक संघ के अध्यक्ष / मंत्री निम्नांकित बिन्दुओं की जानकारी के साथ अपना आवेदन पत्र दिनांक 15 जुलाई 2003 तक इस कार्यालय को अवश्य प्रेषित करने का श्रम करावें । पहले प्राप्त आवेदन पत्रों को प्राथमिकता दी जायेगी। 1. गांव / शहरका नाम... .जिला.. 2. श्री संघ का नाम व पूरा पता. .प्रान्त. 3. संघाध्यक्ष का नाम व पता.. 4. संघ मंत्री का नाम व पता.. 5. संबंधित जगह पहुंचने के विभिन्न साधन.. 6. समस्त जैन घरों की संख्या.... 7. क्या आपके यहां धार्मिक पाठशाला चलती है ?. 8. क्या आपके यहां स्वाध्याय का कार्यक्रम नियमित चलता है ?. 9. पर्युषण सेवा संबंधी आवश्यक सुझाव. 10. अन्य विशेष विवरण.. आवेदन करने का पता-संयोजक/सचिव, श्री स्थानकवासी जैन स्वाध्याय संघ, प्रधान कार्यालय-घोड़ों का चौक, जोधपुर - ३४२००१ (राज.) फोन नं. २६२४८६१, फैक्स २६३६७६३ स्वाध्यायियों के लिये आवश्यक सूचना श्री स्थानकवासी जैन स्वाध्याय संघ, जोधपुर के समस्त स्वाध्यायियों को सूचित करते हुए परम प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है कि आगामी पर्वाधिराज पर्युषण पर्व २४ अगस्त से ३१ अगस्त २००३ तक मनाये जायेंगे । आप सभी स्वाध्यायी बन्धुओं से निवेदन है कि आप पर्युषण पर्व में अवश्य पधारकर अपनी अमूल्य सेवायें संघ को प्रदान करावें । बाहर गांव पधारने से आपकी धर्म - साधना तो सुचारू रूप से होगी ही, अन्य भाई-बहिनों की साधना में भी आप निमित्त बन सकेंगे। अतः आपसे निवेदन है कि आप अपनी पर्युषण स्वीकृति स्वाध्याय संघ कार्यालय-घोड़ों का चौक, जोधपुर - ३४२००१ (राज.) फोन नं. २६२४८६१ के पते पर अवश्य भिजवाने का श्रम करावें । स्वाध्याय शिक्षा Jain Education International For Private & Personal Use Only 159 www.jainelibrary.org
SR No.002542
Book TitleSwadhyaya Shiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherAkhil Bharatiya Sahitya Kala Manch
Publication Year2003
Total Pages174
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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