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________________ भूमिका ____ 17वीं एवं 18वीं शताब्दियों में ऐसे पचासों कवि हुए हैं जिन्होंने हिन्दी पद्य एवं गद्य में सभी तरह की रचनाएँ निबद्ध करने का श्रेय प्राप्त किया। इन दो शताब्दियों में रचित विशाल साहित्य की अभी तक पूरी खोज भी नहीं हो सकी है। विगत 40 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्यरत होने पर मुझे स्वयं को भी पूरी कृतियों का पता लगाना कठिन प्रतीत होता है क्योंकि छोटे से छोटे ग्रंथ संग्रहालय में एक दो नई कृतियाँ उपलब्ध हो जाती हैं। हिन्दी साहित्य के इतिहास में तो जैन कवियों का कृतित्व पूरी तरह उपेक्षित रहा है और पचासों कृतियों के प्रकाशन पर भी अभी तक इतिहासकारों का उस ओर ध्यान नहीं जा सका है। इसी तरह जैन साहित्य के इतिहास में भी पूरी कृतियों का समावेश नहीं हो पाया है। डॉ. कामताप्रसाद जैन, डॉ. नेमिचंद शास्त्री डॉ. प्रेम सागर जैन ने अपने हिन्दी जैन साहित्य में कुछ कृतियों का परिचय तो अवश्य दिया है लेकिन कृतियों की विशाल संख्या को देखते हुए वह प्रयास भी ऊँट के मुंह में जीरे के समान है। महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने महाकवि स्वयम्भू के पउमचरिउ को हिन्दी का आदि-काव्य मानकर तथा डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने जैन हिन्दी-साहित्य को भारतीय साहित्य का अंग मानकर जैन हिन्दी-कवियों के गौरव को बढ़ाया है लेकिन जिस गति से जैन-कवियों के हिन्दी साहित्य का मूल्यांकन होना चाहिए था वह अभी तक नहीं हो पाया है। हिन्दी के जैन-कवि आरम्भ से ही किसी एक धारा से चिपके हुए नहीं रहे किन्तु उन्होंने स्वयं ही अपनी-अपनी रचनाओं को काव्य की विभिन्न धाराओं में निबद्ध करके हिन्दी साहित्य की विशालता में अभिवृद्धि की और जन सामान्य में हिन्दी पठन-पाठन के क्षेत्र को विस्तृत करने में सफलता प्राप्त की। राजस्थान के जैन शास्त्र भंडारों में हिन्दी की सैंकड़ों पांडुलिपियाँ संग्रहीत हैं, जिनको देखने से पता चलता है कि ये रचनाएँ कथा, रासो, रास, पूजा, मंगल, जयमाल, प्रश्नोत्तरी, सार, समुच्चय, स्तोत्र, पाठ, वर्णन, सुभाषित, चौपाई, शुभमालिका, निशाणी, जकड़ी, ब्याहलो, बधावा, विनती, पत्री, आरती, बोल, चरचा, विचार, (i) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002541
Book TitleBhaiya Bhagavatidas aur Unka Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUsha Jain
PublisherAkhil Bharatiya Sahitya Kala Manch
Publication Year2006
Total Pages252
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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