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"आप आप थप जाप जप, तप तप खप बप पाप।।
काप कोप रिप लोप जिप, दिप दिप त्रप टप टाप।।"
इस चित्र में प्रत्येक पंखुरी के अक्षर के साथ बीच में स्थित अक्षर 'प' अवश्य पढ़ा जाता है।
चमराकारबद्ध चित्र
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चित्र सं0 5 "अरि परि हरि अरि हेरि हरि, धेरि धेरि अरि टारि। करि करि थिरि थिरि धारि धरि, फिरि फिरि तरि तरि तारि।।"
इसी प्रकार नागबद्ध चित्र बहिर्लापिका तथा चित्रकाव्य का मिश्रित उदाहरण है। इसमें चित्र के साथ एक पद्य है, जिसमें 13 प्रश्न हैं, जिनके उत्तर उसी नागबद्ध चित्र में दिये गये हैं। सर्प के भीतर एक 13 वर्गों की पंक्ति और छिपी हुई है 'श्री जिनराज चरन नित बंदीजै।' इस पंक्ति के प्रत्येक अक्षर का उपयोग इन तेरह प्रश्नों के उत्तर में भी किया गया है। पद्य इस प्रकार है
"कहाँ अंस को जनम ? नाम कहा दूजे जिनको ? कौन सीय अपहरी ? कहो तीजो सहन को ? दयावंत कहा करै ? कौन वर्णादिक पेखै ? को अति जल संग्रहै ? श्रवण गुण को कहु लेखै ?||
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