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कृतज्ञता-प्रकाश ।
इस ग्रन्थकी केवल एक ही प्रति जैनमित्र - सम्पादक श्रीयुक्त शीतलप्रसादजी ब्रह्मचारीजीकी कृपा से प्राप्त हुई और उसी परसे इसका सम्पादन किया गया, अतएव हम ब्रह्मचारी महोदय के प्रति हार्दिक कृतज्ञता प्रकट करते हैं । - मंत्री ।
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