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रूप में प्रकाशित करवाया था। इस पुस्तक की वर्तमान समय में हिन्दी भाषियों के लिए अत्युपयोगिता देखकर अध्यात्मरसिक पूज्य आचार्य देव श्री विजयकलापूर्णसूरिजी म. ने श्री नैनमल विनयचन्द्र सुराणा से गुजराती का हिन्दी अनुवाद करवाकर, "जिनभक्ति की महिमा" रूप उपोद्घात के साथ प्रकाशनार्थ हमें प्रदान की, एतदर्थ हम पूज्य आचार्य श्री की कृपा के अत्यन्त आभारी हैं।
नरेन्द्र प्रकाश जैन पारसमल भंसाली पार्टनर
अध्यक्ष मोतीलाल बनारसीदास जैन श्वे. नाकोड़ा दिल्ली
पार्श्वनाथ तीर्थ मेवानगर
देवेन्द्रराज मेहता
सचिव प्राकृत भारती अकादमी
जयपुर
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जिन भक्ति ]
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