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श्री सिद्धसेन दिवाकर सिद्धर्षिगरि हेमचन्द्राचार्यादि पूर्वाचार्यों द्वारा रचित ज्ञान, वैराग्य एवं भक्ति रस से परिपूर्ण नव स्तोत्रों का संकलन
प्राकृत भारती पुष्प - 64
जिन-भक्ति
[ हिन्दी अनुवाद एवं महिमा सहित ]
संग्राहक एवं अनुवादक प्रशान्तमूर्ति पं. प्र. श्री भद्रंकरविजयजी गणि
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प्रकाशक
प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर
जैन श्वे. नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली
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