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दांतों के लिए आंखों में अञ्जन श्रेष्ठ है, कान के लिए दंतधावन, पैर के लिए शिर मालिश तथा आंखों के लिए पैरों में मालिश श्रेष्ठ है।
घृत-दुग्धादिकं 'वा-बुद्धिहेतुं व' त्ति वाग्हेतोबुद्धि-हेतोश्च भुक्तं भवेत्, 'घृतेन् वर्धते मेघा' इत्यादि-वचनात्। 'वातिकं नाम' विकटं तद्वा मतिहेतोः सत्त्वहेतोर्वा सेवितं भवेत्।
(बृभा वृ. पृ. १५९३) बुद्धि के लिए तथा वाणी के लिए दूध का प्रयोग उत्तम है। घृत से बुद्धि बढ़ती है। बुद्धि तथा सत्त्व के लिए वातिक-मद्य का प्रयोग होता है।
==बृहत्कल्पभाष्यम् यथा ग्लानोऽप्यधुनोत्थितः क्रमेणाभिवर्द्धमानमाहारं गृह्णाति, एकवारमतिप्रभूतग्रहणे विनाशप्रसङ्गात्।
(बृभा वृ. पृ. १९२७) ग्लान यदि अभी ठीक ही हुआ है तो उसकी आहार- . वृद्धि क्रमशः करनी चाहिए। एक साथ अधिक आहार करने से विनाश का प्रसंग आ सकता है।
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