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बृहत्कल्पभाष्यम्
हमने संपूर्ण टेक्सट पुण्यविजयजी द्वारा संपादित ग्रंथ के अनुसार लिया है। कहीं-कहीं मूल पाठ और टीका में संवादिता नहीं है, फिर भी हमने मूल पाठ के साथ छेड़छाड़ नहीं की है। हमने पूर्वानुपर का अनुसंधान कर अनुवाद को आगे बढ़ाया है। अनुवादक की इयत्ता
मैंने बृहद्कल्पभाष्य का अनुवाद प्रारंभ किया। स्थान-स्थान पर भाष्यकार ने तथा वृत्तिकार ने मूर्तिपूजक संप्रदाय की मान्यताओं का विस्तार से उल्लेख कर उनकी करणीयता को सिद्ध किया है। विषय है-चैत्य आदि, अनुयान रथयात्रामें करणीय कार्य, भावग्राम के अंतर्गत प्रतिमाओं का पूजन, तीर्थंकरों के जन्मकल्याणक आदि गांवों में जाने से दर्शन शुद्धि आदि होती है। इन तीर्थ स्थानों में जाने की प्रेरणा। यद्यपि हम इन सारी विधियों से सहमत नहीं है। फिर भी हमने यथावत् अनुवाद प्रस्तुत किया है क्योंकि यह अनुवादक का धर्म है। वह जिस ग्रंथ का अनुवाद कर रहा है, वह उस ग्रंथ की गाथाओं में परिवर्तन या परिवर्द्धन नहीं कर सकता। वह टिप्पण में अपने अभिप्राय को स्पष्ट कर सकता है, परन्तु उनमें फेरबदल नहीं कर सकता। मैंने टिप्पण देने के बदले संपादकीय में इस विषय को स्पष्ट किया है। मैंने कुछ वर्षों पूर्व “भरत बाहुबली महाकाव्यम्' का अनुवाद प्रस्तुत किया था। उसमें महाराज भरत द्वारा कृत चैत्यपूजा, मूर्तिपूजा तथा शाश्वत चैत्य का उल्लेख है। मैंने यथार्थ अनुवाद किया। इस अनुवाद को मूर्तिपूजक आचार्यों और मुनियों ने खूब उछाला और लिखा 'तेरापंथी मुनि ने मूर्तिपूजा स्वीकार कर ली है।' पेम्पलेट, परदों पर बड़े-बड़े अक्षरों छापा, प्रचार-प्रसार किया। आज भी कर रहे हैं। हमें इसकी चिंता नहीं। सब अपना अपना कर्म करते हैं।
__मैं विश्वास करता हूं कि पाठक अनुवादक की इयत्ता का अनुभव कर, यथार्थ को जानने का प्रयास करेंगे। अन्त में
हमने इस ग्रंथ को दो खण्डों में विभक्त किया है। पहले खण्ड में भूमिका, विस्तृत संपादकीय तथा पीठिका साहित प्रथम दो उद्देशक हैं।
दूसरे खण्ड में तीसरे उद्देशक से छठ्ठा उद्देशक तथा चार परिशिष्ट हैं-१. कथा परिशिष्ट २. सूक्त और सुभाषित ३. आयुर्वेद और आरोग्य ४. गाथानुक्रम। प्रथम खण्ड का विषयानुक्रम प्रथम खण्ड में, दूसरे का दूसरे
में है।
पुनश्च इस ग्रंथ के आकार लेने तक जिस किसी का भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग मिला है उनके प्रति भी मंगलकामना।
शुभं भवतु, कल्याणमस्तु।
मुनि दुलहराज
१ अगस्त २००७ महाप्रज्ञ विहार, भुवाणा (उदयपुर)
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