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विषयानुक्रमणिका
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मिथ्यात्व के त्यक्त होने पर अज्ञान ज्ञान में परिणत हो जाता है।
सास्वादन सम्यक्त्व कब और कैसे ?
उपशम सम्यक्त्व से च्युत सम्यकदृष्टि कैसे ? इस प्रश्न का समाधान ।
मिश्र ( क्षायोपशमिक सम्यग्दृष्टि) कब बनता
है?
वेदक सम्यक्त्वी कौन कहलाता है ?
क्षायक सम्यक्त्व कब प्राप्त होता है ?
अभिन्न दशपूर्वी से चौदहपूर्वी पर्यन्त नियमतः सम्यक्त्वी होते हैं।
सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान में विवेक ।
सम्यक्त्व और मिथ्यात्व के लक्षण ।
श्रुतज्ञान अनादि अनंत या सादि सान्त ?
पांच स्थानों से प्रतिपात ।
पांच प्रतिपालों का विवेचन।
श्रुत नियमतः जीव भी है और तीन स्थानों से श्रुत की जीव में भजना भी ।
क्षेत्र की अपेक्षा से श्रुत सादि और सपर्यवसित कब ? कहां ?
प्रज्ञापक के आधार पर श्रुत सादि और सपर्यवसित।
श्रुतज्ञान अनादि और अपर्यवसित कैसे ?
गमिक और अगमिक श्रुत का विवेचन । अंगश्रुत और अनंगश्रुत का विवेचन | 'भूतवाद' अर्थात् दृष्टिबाद का अध्ययन स्त्रियों
के लिए अनुज्ञात क्यों नहीं ?
श्रुतज्ञान की प्ररूपणा में पहले अक्षरश्रुत तथा
अनक्षर श्रुत का ग्रहण |
श्रुतज्ञान से ही शेष ज्ञानों का कथन संभव।
अनुयोगाधिकार की द्वार गाथा।
निक्षेप किसका ?
अनुयोग के सात निक्षेप ।
द्रव्य आदि अनुयोगों के प्रभेद । द्रव्यानुयोग के दो प्रकार । जीव द्रव्यानुयोग का विवेचन ।
अजीव द्रव्यानुयोग का विवेचन ।
द्रव्य पर्यायात्मक होते हैं।
द्रव्य और द्रव्यों से अनुयोग |
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गाथा संख्या विषय
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क्षेत्र और क्षेत्रों से अनुयोग कैसे ?
कलानुयोग का कथन और सोलह वचनों का अनुयोग |
वचन से और वचनों से अनुयोग का विवेचन । भावानुयोग का कथन |
भाव से और भावों से अनुयोग का विवेचन किन्तु क्षायोपशमिक का भावों में अनुयोग नहीं।
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द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव का परस्पर समवतार कैसे ?
द्रव्य और भाव, आधार और आधेय हैं।
द्रव्य अनुयोग और अननुयोग विषय में वत्स और गाय का दृष्टान्त
क्षेत्र अनुयोग और अननुयोग विषय में कुब्जा का दृष्टान्त |
काल अनुयोग और अननुयोग विषय में स्वाध्याय का दृष्टान्त ।
वचन अनुयोग और अननुयोग विषय में बधिरोल्लाप और ग्रामेयक का दृष्टान्त ।
भाव अनुयोग और अननुयोग विषय में सात दृष्टान्त |
एकार्थिकों के प्रयोग से होने वाले गुण ।
सूत्र के दश एकार्थक ।
द्रव्यश्रुत और भावश्रुत ।
चौदह प्रकार का अक्षरश्रुत ।
द्रव्य सूत्र और भाव सूत्र के प्रकार । द्रव्य ग्रंथ और भाव ग्रथ के प्रकार ।
सिद्धान्त की परिभाषा और उसके प्रकार ।
सर्वतंत्र सिद्धान्त का स्वरूप ।
प्रतितंत्र सिद्धान्त का स्वरूप।
अधिकरण सिद्धांत का स्वरूप ।
अभ्युपगम सिद्धान्त का स्वरूप।
द्रव्य शासन और द्रव्य आज्ञा । भाव शासन और
भाव आज्ञा ।
द्रव्य वाक् और भाव वाक् क्या ?
उपदेश, प्रज्ञापना और आगम का निक्षेप ।
अनुयोग के पांच एकार्थक |
निरुक्त का अर्थ |
अनुयोग, नियोग, भाषा आदि के दृष्टान्त । सूत्र की परिभाषा
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