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________________ २५०] परिशिष्ट-२० खंदय (स्कंदक) खंदिल (स्कन्दिल) गोविंददत्त (गोविन्ददत्त) चिलायपुत्त (चिलातपुत्र) थावच्चसुत (स्थापत्यासुत) थावच्चापुत्त (स्थापत्यापुत्र) धम्मण्णग (धर्मन्नक) पूसमित्त (पुष्यमित्र) मुडिंबग (मुडिंबक) लोह (लौह) वीर (वीर) ससिगुत्त (शशिगुप्त) सिवकोट्ठग (शिवकोष्ठक) युद्ध महसिलकंटक (महशिलकंटक) रहमुसल (रथमुशल) (गा. ४६८६) | पुहवी (पृथ्वी) (गा. २६४५) (गा. १७०५) सिवा (शिवा) (गा. ४४२५) (गा. १७०५) (गा. ४४२२) रोग (गा. ११६३) अजिण्ण (अजीर्ण) (गा. ६४७) (गा. २४६५) अजीर (अजीर्ण) (गा. ३४१२) (गा. १७०५) अतिसार (हैजा) (गा. २५४८) (गा. १७०५) अरिसा (मस्सा, अर्श) (गा. ६३) (गा. २६५७) उद्धसास (श्वासरोग) (गा. २२७१) (गा. २६७१) कच्छुय (खुजली) (गा. २७६२) (गा. १७०५) कामल (पीलिया) (गा. २७६२) (गा. १६६७) कुट्ठ (कुष्ठ) (गा. २७६२) (गा. १७०५) खय (क्षय) (गा. ४३८४) जर (ज्वर) (गा. ७००) धणुग्गह (धनुष्टंकार, वातरोग विशेष) (गा. ७००) (गा. ४३६३) नयणामय (आंख का रोग) (गा. २७६२) (गा. ४३६३) पमेह (मधुमेह) (गा ३७६७) पामा (खुजली) (गा. २७६२ टी. प. ६२) पित्तमुच्छा (पित्तमूर्छा) (गा. २२७१) (गा. ७८४) भगंदर (मस्सा) (गा. ३२२२) (गा. ४३६५) भम (चक्कर आना) (गा. २२७१) (गा. ४३६३) वण (व्रण) (गा. ७००) (गा. १०८१) वात (वायुरोग) (गा. ४४१) (गा. २५६०) विसूइगा (हैजा) (गा. ४३६४) (गा. ४४१७) सव्वासि (भस्मक रोग) (गा. ८४६) (गा. १२६५) लब्धि (गा. ३३५८) (गा. १४१४) आसीविसत्त (आशीविषलब्धि) (गा. ४६६६) (गा. ७८४) खीरलद्धि (क्षीरलब्धि) (गा. ८६५) (गा. १५०१) खीरासवलद्धि (क्षीरास्रवलब्धि) (गा. १५०२, ३०००) (गा. ४५५७) चारणलद्धि (चारणलब्धि) (गा. ४६६७) (गा. ११२६, २६४५) दिट्ठिविसलद्धि (दृष्टिविषलब्धि) (गा. ४६६६) (गा. ११२८) वेउव्वियलद्धि (वैक्रियलब्धि) (गा. ३३७६) राजा अवंतिवति (प्रद्योत) कोणिय (कूणिक) चेडग (चेटक) जितसत्तु (जितशत्रु) तोसलिय (तोसलिक) दंडइ (दंडकी) दंडिग (दंडिक) नंद (नंद) नहवाहण (नभवाहन) पज्जोय (प्रद्योत) मुरुंड (मुरुंड) सग (शक) सातवाहण (शातवाहन) . साताहण (शातवाहन) रानी वंश पउमावती (पद्मावती) पुरंदरजसा (पुरंदरयशा) (गा. १४१४) | नंद (नंद) (गा. ४४१७) | मुरिय (मौर्य) (गा. ७१५) (गा. ३३५८) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002531
Book TitleAgam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Bhashya
Original Sutra AuthorSanghdas Gani
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages860
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vyavahara
File Size14 MB
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