________________
परिशिष्ट-४
टीका एवं भाष्य की गाथाओं का समीकरण
इस परिशिष्ट में संपादित भाष्य गाथा के क्रमांक तथा प्रकाशित टीका की भाष्य गाथा के क्रमांक की सूची प्रस्तुत की जा रही है। प्रकाशित टीका के अनेक भाग हैं। संपादक ने उन भागों को न उद्देशक के अनुसार बांटा है और न ही भागों की संख्या को संलग्न रखा है। टीका में सभी गाथाओं के उद्देशकगत अलग-अलग क्रमांक हैं। इससे पाठक को किसी भी गाथा की टीका खोजने में दुविधा होती है। हमने पूरे ग्रन्थ की गाथा-संख्या संलग्न रूप से रखी है। यहां हम टीका के भाग, उनकी पृष्ठ संख्या तथा प्रत्येक भाग की गाथा-संख्या की तालिका के साथ संपादित गाथा-संख्या-तालिका भी प्रस्तुत कर रहे हैं जिससे पाठक को इस परिशिष्ट के माध्यम से किसी भी गाथा की टीका खोजने में सुविधा रहेगी। ____ मुद्रित टीका में अनेक गाथाओं के आगे क्रमांक नहीं हैं किन्तु आगे संख्या ठीक चल रही है। वहाँ हमने (-) इस चिह्न का प्रयोग किया है। जहां प्रकाशन की त्रुटि से संख्या दो बार या आगे-पीछे छप गई है, उसका भी हमने पाद टिप्पण में उल्लेख कर दिया है। जो गाथाएं हमने मूल में स्वीकृत की हैं और यदि वे मुद्रित टीका में नहीं हैं तो उनको हमने 'x' चिह्न से दर्शाया है। जहाँ कहीं टीका में गाथा भाष्य-गाथा के क्रमांक में न छपकर त्रुटि से व्याख्या के मध्य में छप गई है अथवा उद्धृत गाथा है, इन सबका भी पाद-टिप्पण में उल्लेख कर दिया गया है।
टीकागत गाथाएं
१८४
२८८ २८६-४१६
२३५
टीकापत्र
६२ ६६
५१ ५२-१३८
८७ ७३ १०४
३८२
विभाजन पीठिका (प्रथम विभाग) दूसरा भाग तीसरा भाग (१) तीसरा भाग (२) चौथा भाग (१) चौथा भाग (२) चौथा भाग (३) पांचवां भाग छठा भाग सातवां भाग आठवां भाग नवां भाग दसवां भाग
३७२
संपादित गाथा
१८३ १८४-४६६ ४७०-६२३ ६२४-६७६ ६७७-१३५६ १३५७-१७२७ १७२८-२३०३ २३०४-२४४६ २४४७-२८३३ २८३४-३३८१ ३३८२-३७०२ ३७०३-३८३० ३८३१-४६६४
५७५ १४३ ३८७ ५४८ ३१६
१२८
७२४+१४३
११४
१. प्रकाशित संख्या ४१८ तक है उसके बाद ११ गाथाएँ और हैं। २. इस भाग में २३५ के आगे क्रमांक छपे हुए नहीं हैं। पहले भी अनेक गाथाओं के आगे क्रमांक नहीं हैं। ३. दसवें भाग में पत्र ६३ तक ७२४ गाथाएं हैं तथा उसके बाद फिर १ से १४३ तक गाथाएं और हैं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org