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प्रथम उद्देशक
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९४२. सूयग तहाणुसूयग, पडिसूयग सव्वसूयगा चेव ।
पुरिसा कयवित्तीया, वसंति नियगम्मि रज्जम्मि ॥ ९४३. सूयिग तहाणुसूयिग, पडिसूयिग सव्वसूयिगा चेव ।
महिला कयवित्तीया, वसंति नियगम्मि रज्जम्मि ॥ सूयग तहाणुसूयग, पडिसूयग सव्वसूयगा चेव । पुरिसा कयवित्तीया, वसंति नियगम्मि नगरम्मि सूयिग तहाणुसूयिग, पडिसूयिग सव्वसूयिगा चेव ।
महिला कयवित्तीया, वसंति नियगम्मि नगरम्मि' ॥ ९४६. सूयग तहाणुसूयग, पडिसूयग सव्वसूयगा चेव ।
पुरिसा कयवित्तीया, वसंति अंतेउरे रण्णो ॥ सूयिग तहाणुसूयिग, पडिसूयिग सव्वसूयिगा चेव । महिला कयवित्तीया, वसंति अंतेउरे रण्णो ॥ पच्चंते खुब्भंते, दुईते सव्वतो दमेमाणो ।
संगामनीतिकुसलो,• 'कुमार एतारिसो होति'३ ॥ ९४९. अम्मापितीहि जणियस्स, तस्स आतंकपउरदोसेहिं ।
वेज्जा देंति समाधि, जहिं कता आगमा होति ॥दारं ।। ९५०. कोडिग्गसो हिरणं, मणि-मुत्त-'सिल-प्पवाल-रयणाई'६ ।।
अज्जय-पिउ-पज्जामय, एरिसया होति धणमंता ॥दारं ।। ९५१. सणसत्तरमादीणं, धन्नाणं कुंभकोडिकोडीओ ।
जेसिं तु भोयणट्ठा, एरिसया होंति नेवतिया० ।।दारं ।। ९५२. भंभीय११ मासुरुक्खे, माढरकोडिण्णदंडनीतीसु१२ ।।
अधऽलंचऽपक्खगाही३, एरिसया रूवजक्खा तु४ ॥दारं ।।
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९४८.
१. ९४४-४५ ये दोनों गाथाएं ब प्रति में नहीं हैं । ९४५ वाली गाथा
टीका की मुद्रित प्रति में प्राप्त नहीं है। किंतु अ और स प्रति में उपलब्ध है। ये गाथाएं विषय वस्तु की दृष्टि से यहां संगत लगती हैं। क्योंकि ९४४ वाली गाथा पुरुष से सम्बन्धित है और ९४५ वाली महिला से । पिछली गाथाओं में पुरुष और महिला दोनों से सम्बन्धित गाथाएं आई हैं राज्य के बाद ये नगर से सम्बन्धित गाथाएं है। खलु भंते (ब)। कुमारा एयारिसा होंति (ब)।
जस्स (स)। ५. दिति (ब)।
६. सिला पवालयं च (अ), सिला पवालयाई च (स)। ____७. ० मंतु (ब), मंतो (अ)।
८. ० कोडाकोडीणं (अ, स)। ९. ता (मु)। १०. निवतिया (ब), नियतिर्व्यवस्था तत्र नियुक्तास्तथा वा चरंतीति
नियतिका: (मवृ) ११. हंभीय (अ.स)। १२. ०कोडल्ल डंडनीती य (अ, स)। १३. ०अपक्ख० अ, स)। १४. ९५२ से ९५४ तक की गाथाएं ब प्रति में नहीं हैं।
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