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क० १, १-१०,२, १-८]
जुज्झकण्डं-पंचहत्तरिमो संधि [१४५ [७५. पंचहत्तरिमो संधि] जम-धणय-पुरन्दर-डामरहों 'स-उरग-जग-जगडावणों । जिह उत्तर-गउ दाहिण-गयहाँ भिडिउ रामु रणे रावणहाँ ॥
[१] ॥ दुवई ॥ तुङ्ग-तुरङ्ग-
तिख-णक्खुक्खय-रय-कय-जलण-जालए। दुद्दम-दन्ति-दन्त-
णिसुट्टिय-सिहि-सिंह-विर्जुमालए ॥१ दप्पुब्भड-भड-थड-संकडिल्लं हय-फेण-तरङ्गिणि-दुत्तरिलें ॥२ गय-मय-णइ-कद्दम-भग्ग-मग्गे करि-कण्ण-पवण-पेल्लिय-धयग्गें ॥३ चामीयर-चामर-दिण्ण-सोहे छत्तोह-पिहिय-दिणयर-करो ॥ ४ धय-दण्ड- सैण्ड-मण्डिय-दियन्तें णर-रुण्ड-खण्ड-खाइय-कियन्तें ॥ ५ हय-हिंसिय-भेसिय-रवि-तुरङ्गे . रह-चक्क-चारु-चूरिय-भुअङ्गे ॥ ६ रहसुद्ध-खन्धणच्चिय-कवन्ध कङ्काल-माल-किय-सेउ-वन्धे ॥७ सर-णियर-दिण्ण-भुवणन्तराले पडु-पडह-सङ्ख-झल्लरि-वैमाले ॥८ सुर-वहु-विमाणे छइयन्तरिक्खें दुव्विसमें दु-संचरें दुण्णिरिक्खें ॥ ९
॥त्ता॥ तहिँ तेहऍ दारुणें आहयणे गैन्धवहुडुअ-धवल-धय । गजन्त-मत्त-मायङ्ग जिह भिडिय परोप्पर हणुव-मय ॥ १०
[२] ॥ दुवई ॥ दुद्दम-देह दो वि दूरुज्झिय-धणुहर पवर-विक्कमा ।
जणिय-जणाणुराय जस-लालस स-रहस सुर-परकमा ॥ १ । पहरन्ति परोप्पर पहरणेहिँ 'दणु-इन्द-विन्द-दप्पहरणेहिँ ॥२ जल-थल-णह-यल-पच्छायणेहिँ तडि-तामस तवणुप्पायणेहिँ ॥ ३ गिरि-गारुड-पाहण-पायवेहि वारुण-अग्गेयहिँ वायवेहि ॥ ४ । तो अहिमुह-दैहिमुह-माउलेण उब्भिय-धुय-धयमालाउलेण ॥ ५ कञ्णगिरि-सरिस-महारहेण सुर-घाय-किणकिय-विग्गहेण ॥ ६ पज्जालिय-कोव-हुआसणेण आयड्डिय-ससर-सरासणेण ॥ ७ इन्दइ-कुमार-मायामहेण हणुवन्त-महद्धउ छिण्णु तेण ॥ ८
1.1 A°डामरहो. 2 Wanting in A. 3 A तह. 4 PS म°. 5 P S A °क्ख°. 6 A जालयं. 7 PS 'सिहि. 8 P A °विज. 9 P S °संडमंड , A °संडदंड. 10 P S कंकोल.. 2. 1 P°यरेहि, s °वरेहि. 2 PS °दह°. [१] १ 'T ससर्पः. २ T जगत. ३ T समूहः. ४ शब्दकोलाहले. ५ वातोद्धता. [२] १ दानवेंद्रः. २ मएण.
पउ० च०१९
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