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________________ क० ३, १०;४, १-९,५,१-८] जुज्झकण्डं-एकुणसत्तरीमो संधि [४७ ॥ घत्ता ॥ अण्णु वि थोवन्तर जन्ताह तिहि मि णिहालिउ गिरि मलऊ। जो लवलि-वलहों चन्दण-सरहाँ दाहिण-पवणहाँ थामलउ ॥ १० [४] जहिँ जुवेइ-पऊरु-परजियाइँ रत्तुप्पल-कयलि-वणइँ थियाइँ ॥ १ कामिणि-गई-छाया-भंसियाइँ जहिं हंस-उलइँ आवासिया ॥२ कर-करयल-ओहामिय-मणाइँ जहिँ मालइ कङ्कोली-वणाइँ ॥३ जहिँ वयण-णयण-पह-घल्लियाइँ कमलिन्दीवरइँ समल्लिया ॥४ 'जहिँ महुर-वाणि अवहत्थियाइँ कोइल-कुलाइ कसणई थियाइँ ॥५ . भउहावलि-छाया-वकियाइँ जहिं णिम्व-दैलइँ कैडुयइँ कियाइँ ॥ ६ ॥ जहिँ चिहुर-भार-ओहामियाइँ . वरहिण-कुलाइँ रोवाविया ॥७ तं मलउ मुऍवि विहरन्ति जाव दाहिण-महुरऍ आसण्ण ताव ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ किकिन्ध-महागिरि लक्खियउ तुङ्ग-सिहरु कोड्डावणउ । छुडु "रमियहें पुहइ-विलासिणिहें उर-पएसु सोहावैणउ ॥ ९ [५] जहिँ इन्दणील-कर-भिजमाणु ससि थाइ जुण्ण-दप्पण-समाणु ॥ १ जहिँ पउमराय-कर-तेर-पिण्डु रत्तुप्पल-सण्णिहु होइ चण्डु ॥२ : जहिँ मरगय-खाणि वि विप्फुरन्ति ससि-विम्वु भिसिणि-पत्तु व करन्ति ॥३ . तं मेल्लेवि रहसुच्छलिय-गत्त णिविसद्धे सरि कावेरि पत्त ॥ ४ ० जा लइय विहछेवि णरवरेहिं महकव्व-कहा इव कइवरेहिँ ॥ ५ सामिय-आणा इव किङ्करेहिँ तित्थङ्कर-वाणि व गणहरेहिँ ॥६ सिव-सासय-मोत्ति व हेउएहिँ वर-सदुप्पत्ति व 'धाउँएहिँ ॥७. पुणु दिट्ठ महाणइ तुङ्गभद्द करि-मयर-मच्छ-ओहर-रउद्द ॥८ 4. 1 P जुबई. 2 P S °पउरु', A °एऊरु. 3 A गय?. 4 P °वलइ. 5 PS A जहि.6 Ps कसणइ, wanting in A. 7 PS A °दलइ. 8 P कडूभइ, 3 कडूयइ, A कंडुयई. 9 P कोडावणउ, A कोड्डावणउं. 10 P रमिअहे, s रमियहि, A रमिअहिं. 11 P णं सम्वणडं, s गं सज्वणउ, A सोहावणउं. 5. 1 Ps कोवेरी. 2 PSA विहंजिवि. 3 PS वाउएहिं (s हि). 4 PS °कच्छय, A °उहर. • [४] १T पादोरुभ्यां क्रमेण निर्जितानि. २ गतिशोभया. ३ ' उच्छूनं कर्नाटदेशे व्यवहारोऽये(यं). [५] १ (P. s. reading ) हेतुवादुभिः. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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