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"ते वयणें रणु उवसङ्घरवि सीराउहो विपरियत्तु तहिँ •
जुज्झकण्ड-सत्तसटिमो संधि ७१ गउ लङ्काहिउ कलयलु करवि ॥ ८
सत्तिएँ णिब्भिण्णु कुमारु जहि ॥ ९ ॥ पत्ता॥
सुरकरि-कर-पवरु ऍहिँ ॥ सिरु पहणन्तु से इंभु ऍहिँ ॥ १० ॥
तं णिऍवि वलु णिवडिउ महिहूिँ,
॥
[६७. सत्तसट्ठिमो संधि] लक्खणे सत्तिएँ विणिभिण्णऍ लङ्क पइट्ठऍ दहवयणे। णिय-सेण्णहाँ मुहइँ णियन्तउ रुअइ स-दुक्खउ रामु रणे ॥
[१] भिण्णु कुमारु दसाणण-सत्तिएँ पर-गन्थु व गमयत्तण-सत्तिएँ ॥ १ कुकइ व सुकइ-कच-सम्पत्तिएँ कुपुरिस-केण्णो इव पर-तत्तिएँ ॥२ सुअणो इव खल-वयण-पउत्तिएँ पर-समउ व्व जिणागम-जुत्तिएँ ॥३ जिण-मग्गो इव केवल-भुत्तिएँ विसयासत्तु मुणि व्व ति-गुत्तिएँ ॥४ संबो इव सव्वाएँ विहत्तिएँ छन्दो इव मणहर-गायत्तिएँ । ५ सेलु व वजासणिऍ पडन्तिएँ विञ्झो इव रेवाएँ वहन्तिऍ ॥ ६ मेहो इव विजुलऍ लवन्तिएँ जलणिहि व्य गङ्गाएँ मिलन्तिऍ॥७ ताम समर-दसणु अलहन्तिएँ णा दिवसु ओसारिउ रत्तिएँ ॥८
॥घत्ता ॥ दहमुह-सिरछेउ ण दिट्ठउ हुवइ-णन्दणे विजउ ण वि । ..' सोमित्ति-सोय-सन्तत्तउ णं अस्थवणहों दुक्कु रवि ॥९
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12 Ps'ते. 13 P विणिभिन्नु, s विनिभिण्णु. 14 P S A जहि. 15 P °भुएहि, 8 °भुयेहि, धुऐहिं. 16 सयं.
1. 1 A लक्खणेण. 2 A सिरु पहणंतु सई भुएहिं. 3 A परमपंथु गवयतण°. 4 A सव्वो. 5A वहतिए. 6 P• °गाइत्तिए. , . ...
. [१] पररचितशास्त्रमिव गमकत्वशक्त्या . २ कर्ण इव. ३ रामचंदे.
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