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६६ सयम्भुकिउ पउमचरिउ
जासु ण केण विणावइ गाँउँ
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वइरिहिँ मिलेंवि" तिह आहय
'सच में आसि तुहुँ देव-देव
सच्च जि आसि तुहुँ वर - मइन्दु सच्चउ जें आसि तुहुँ मेरु चण्डु सच्च जि आसि रवि तेयवन्तु सच्चउ जि आसि जलणिहि पहाणु सच जि आसि सरु सार विन्दु सच्चर जि आसि तुहुँ गन्ध-हत्थि 15 गिरि-समु खण्डिड चारिन्तु जेण
सच्चर जें मइँ लइ एवहिँ मि
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[ ७ ]
'तं णिसुर्णेवि सोण्डीर-वीरे (?)- सन्तावणें । णिग्भच्छिउ दसाणणो कुइय-मणेण विहीसणेणं ॥ १
१ रामः. २ अंकमाला
१] १ महासरोवरः.
[क० ६, ९-१०, ७, १-१०८, १
सो पहूँ हिउ विहोसण ' उ ॥ ९
॥ घत्ता ॥
"ज़िह उग्गामिङ खम्भु महु । परिसर साइड देहि "लहु' ॥ १०
एवहिँ लहुआरउ कु-मुणि जेव ॥ २
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9s नाउ 10 Ps पइ. 11 s राउ. 12 PS मिलिवि. 13 P marginally reads a variant जिह उग्गामिड रणउहे लइयहु खंभु महुं. 14 Pलहुं.
7. 1 The portion from the beginning up to एव in line 5. is wanting in A. P s read gas in the beginning. 2 The first pada is corrupt, as it 25 is defective by four moras. 3PS तुहु. 4 Ps एवहि. 5 PSA एवहि. 6 P 7 PS तयहुं (s ° हु) 8Ps खंभुष्पाडिअ ( s°य ) उ. 9 wanting in P s. 8. 1 P s read दुर्वइ in the beginning; A वशम्भुङ 2PSA
एवहिँ वण्णाणणु हरिण -विन्दु ॥ ३
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वहिँ णिग्गुणु पाहाण खण्डु ॥ ४ एवहिं जोइङ्गणु जिगिजिगन्तु ॥ ५ एवंहिँ वट्टहि गोप्पय-समाणु ॥ ६
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वहिं पुणु तोय-तुसार विन्दु ॥ ७ एवहिँ त सरिस खरु वि णत्थि ॥ ८ किं कीरइ जीवन्तेण तेण ॥ ९
[4]
'तं णिसुणेवि वयणु दवयणें अमरिस- कुद्धएंणं । मेल्लि अद्धयन्दु समरङ्गणे जय-जस-लुद्धएंणं ॥ १
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॥ धत्ता ॥
त खम्भु' उप्पाडियउ । केत्त जाहि अ-पाडियउ ॥ १०
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