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________________ क० ७, १०, ८, १–१०, ९, १-७ ] णीसेसहुँ 'विणिवाइड ते रामण राम-भिच्च भिडिय णं सीह परोप्परु जणिय-कलि णं आसग्गीव-तिविट्ठ पर इन्द-पडिन्द विसुद्ध-मण अक्कोसें रोसें मुक्कु सरु मैउडगे लग्गु तहों सारणहाँ तेण वि पडिवक्ख-खयङ्करेंण दुबार - वइरि - ओसारणण अस सयवत्तु व " पडिए जर राहिवे भीम-पहरणाहं । रणु आलग्गु घोरु अक्कोस - सारणा हुं ॥ १ जुज्झकण्डं - तिसट्टिमो संधि ४५ ॥ घत्ता ॥ सुरहुँ णियन्तहुँ गयण-यलें । कोन्तेहि भिन्देवि वच्छ-यलें ॥ १० [2] Jain Education International णं मत्त महागय ओवडिय ॥२ णं भरह राहिव - बाहुबलि ॥ ३ णं विडसुग्गीव - राम पवर ॥ ४ णं ते विडीवा वे वि जण ॥ ५ णं जिणवरेण भव- गहण - डरु ॥ ६ णं कुम्भे वर वारणहों ॥ ७ रयणासव णन्दण - किङ्करेंण ॥ ८ ध आयामेष्पिणु सारणेण ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ [९] wwww जं अकोसु पाडिओ जय - सिरी - णिवासो । रहु दुरिएण वाहिओ सुंव- रहिवासो ॥ १ ते भिडिय परोप्प आहयणें णर-रुण्ड-हड्ड-विच्छड्डु-पहें हय-हय-भय-तट्ट-ट्ट-गमणें पडु-पडह-भेरि-गम्भीर - सरें धणुहर- टङ्कार-फार - वहिरें हि आहवें उत्थरिय पॅरिवद्धिय- कलयल-मुहेलु । खुडखुरुप्पें सिर-कमलु ॥ १० दुग्घोट्ट थट्ट - णिलोट्ट घण ॥ २ सन्दाणिय- भग्ग-तडत्ति रहें ॥ ३ - विन्दवन्दि बहु-विद्दवणें ॥ ४ तिक्खग्ग-खग्ग-उ - उग्गण करें ॥ ५ सुरवर-सुन्दरि - मङ्गल-गहिरें ॥ ६ दुप्पेच्छ अच्छि मच्छर- भरिय ॥ ७ 8P जं विणि 9P भिन्नेवि, भिण्णिवि. S 8. 1P पाडिय, पाडिए. 2PSA लग्ग. 3PS परिवडिय° 4 Ps सुहलु. 9. 1 P S`प्पडिउ. 2 PS ° सिरि° 3PS °णिवासु, हिवासु, A णराहिवासुं. 6 A °विंद, 7 A 'विहमणे. [८] १ रामकिंकरः २ रावणकिंकरः. वासुं. 4PS सुअ°. 5 Ps णरा For Private & Personal Use Only 10 5 15 20 25 www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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