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________________ ५६] सपम्भुकिउ पउमचरित [क०५,५,६,१-९७१-६ ॥ घत्ता ॥ भैय-भीय विसण्ठुल पर पवर लोट्टाविय हय गय धय चमर । धणुहर-टङ्कार-पवण-पहय रिउ-तरुवर णं सय-खण्ड गय ॥ ९ [६] । एत्थन्तरें तो विञ्झाहिवइ सहुँ मन्तिहिँ रुद्दभुत्ति चवइ ॥१ 'इमु काइँ होज तइलोक-भउ कि मेरु-सिहरु सय-खण्ड गउ ॥२ किं दुन्दुहि हय सुरवर-जणेण किं गजिउ पलय-महाघणेण ॥ ३ किं गयण-मग्गें तडि तडयडिय । किं महिहरे वजासणि पडिय ॥ ४. किं कालु कयन्त-मित्तु हसिउ । किं वलयामुहु समुद्दु रसिउ ॥ ५ "किं इन्दहों इन्दत्तणु टलिउ खय-रक्खसेण किं जगु गिलिउ ॥ ६ किं गउ पायालहों भुवणयलुवम्भण्डु फुट्ट किं गयणयलु ॥७ किं खय-मारुउ ठाणहाँ चलिउ किं असणि-णिहाउ समुच्छलिउ ॥८ ॥ घत्ता ॥ किं सयल स-सायर चलिय महि किं दिसि-गय किं गर्जिय उवहि । ऍउ अक्खु महन्तउ अच्छरिउ कहाँ सदें तिहुअणु थरहरिउ' ॥ ९ [७] जं गरवइ एव चवन्तु सुउ पभणइ सुभुत्ति कण्टइय-भुउ ॥ १ 'सुणि अक्खमि जं तइलोक-भउ उ मेरु-सिहरु सय-खण्ड गउ ॥२ णउ दुन्दुहि हय सुरवर-जणेण । णउ गजिउ पलय-महाघणेण ॥ ३ 20 णउ गयण-मग्ग तडि तडयडियणउ महिहरें वज्जासणि पडिय॥४ णउ कालु कियन्त-मित्तु हसिउ णउ वलयामुहु समुदु रसिउ ॥ ५ । णउ इन्दहों इन्दत्तणु टलिउ खय-रक्खसेण णउ जगु गिलिउ ॥६ णउग वम्भण्डु फुट्ट णउ गयणयलु ॥ ७ णउ खय-मारुउ थाणहों चलिउ णउ असणि-णिहाउ समुच्छलिउ ॥ ८ 25 Jउ सयल स-सायर चलिय महि णउ दिसि-गय णउ गज्जिय उवहि ॥९ 9 Ps consider these two distichs as part of the main body of this Kadavaka and take distichs 1 and 2 of the next Kadavaka as the Ghatta of this Kadavaka. 10A सयखंड. 6. 1 The first two distichs of this Kadavaka are considerd by Ps as the Ghatta of the preseding Kadavaka. 2 A तड. 3 Ps काल. 4 PS कियंतु, कियंतु. 5 This hemistich is missing in A. 6 P गजिउ. 7 P अच्छरिउं. ___7. 1s गं. 2 A तड. 3 Ps काल. 4 P S A कियंतु. 5 P A वलयामुहूं. 6 A सइल. 7 Pउमहि, s उरय. [७] १ मन्त्री. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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