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________________ • ४०) संयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०१६,४-१०,१७, १-११,१८,१-५ गेण्हेंवि पहउ परिन्दु णरिन्दें तुरएं तुरउ गइन्दु गइन्दें ॥ ८ रहिएं रहिउ रहॉ रहङ्गे छत्ते छत्तु धयग्गु धयग्गें ॥९ ॥ घत्ता ॥ जउ जउ लक्खणु परिसक्का भिउडि-भयङ्करु ।' तउ तउ दीसइ महि-मण्डलु रुण्ड-णिस्तरु ॥ १० [१७] जं रिउ-उअहि महिउँ सोमित्ति-मैन्दरेणं । सीहोयरु पधाईओ समउ कुञ्जरेणं ॥ १ अभिट्ट जुज्झु विणि वि जणाहँ उज्जेणि-णराहिव-लक्खणाहँ ॥२ 'n दुवार-वईरि-गेण्हण-मणाहँ उग्गामिय-भामिय-पहरणाहँ ॥३ मयमत्त-गइन्दुद्दारणाहँ पडिवक्ख-पक्ख-संघारणाह ॥ ४. सुरवहुअ-सत्थ-तोसावणाहँ सीहोयर-लक्खण-णरवराहँ ॥ ५ भुअ-दण्ड-चण्ड-हरिसिय-मणाहँ॥६ एत्थन्तर सीहोयर-धरेणं उरें पेल्लिउ लक्खणु गयवरेण ॥ ७ । रहसुन्भडु पुलय-विसट्ट-देहु णं सुक्कें खीलिउ स-जलु मेहु ॥८ तें लेवि भुअग्गें थरहरन्त उप्पाडिय दन्तिहें वे वि दन्त ॥ ९ कडुआविउ मयगलु मणेण तह विवरम्मुंहु पाण लएवि णट्ठ ॥ १० ॥ घत्ता॥ ताम कुमारण विजाहर-करणु करेप्पिणु । धरिउ णराहिउ गय-मत्थएँ पाउ थवेप्पिणु ॥ ११ [१८] . गरवइ जीव-गाहि जं धरिउ लक्खणेणं । केण वि वजयण्णहो कहिउ तक्खणेणं ॥१ 'हे णरणाह-णाहं अच्छरियउ पर-वलु पेक्खु केम जजरियउ ॥२ 25 रुण्ड-णिरन्तर सोणिय-चच्चिउ णाणाविह-विहङ्ग-परियश्चिउ ॥ ३ को वि पयण्ड-वीरु वलवन्तउ भमइ कियन्तु व रिउ-जगडन्तउ ॥ ४ . गय-घड भड-थड सुहड वहन्तउ करि-सिर-कमल-सण्ड तोडन्तउ ॥ ५ 13 P S तुरंग तुरंगें. 14 PS परिगहियल. 17. 1 PS मंदरेण. 2 PS पधाइउ. 3 PS A कुंजरेणं, 4 P विण्ह, A वेपिण. 5 ! °वेरि'. 6 PS °वरेण. 7 PS तं, A ते. 8 P भुअंगों, S भुअंगें. 9 A हस्थिहे. 10 A विवरामुहु 11 Aठवेपिण. 18. 1 8 कहिय घजपणहो." 2 कहिय. 3 Ps क्त्त तक्खणेणं. 4 P णेह. 51 . संड, 3 सोंडु. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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