________________
३८] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
क०१३, १-१०,१४,१-१० । [१३] अमरिस-कुद्धएण वहु-भरिय-मच्छरेणं ।
सीहोर्यरु पलोईओ जिह सणिच्छरेणं ॥१ कोवाणल-सय-जाल-जलन्तें पुणु पुणु जोइउ णाइँ कयन्ते ॥२ जउ जउ लक्खणु लक्खइ संमुहु तउ तउ 'सिमिरु थाई हेट्ठा-मुहु ॥३. चिन्तिउ 'को वि महा-चलु दीसइ णउ पणिवाउ करइ णउ वइसई ॥४ तं जि णिमित्तु लएवि कुमार वुत्तु राउ 'किं वहु-वित्थारें ॥ ५ . एम विसजिउ भरह-ण रिन्हें करइ केलि को समउ मइन्दें ॥६
को सुर-करि-विसाण उप्पाडइ मन्दरसेल-सिङ्गु को पाडई ॥ ७ " कोऽमेयवाहु करग्गें ढङ्कइ वजयण्णु को मारेंवि सक्कइ॥८ सन्धि करहों परिभुञ्जहों मेइणि हियय-सुहरि जिह वर-कामिणि ॥९
॥ घत्ता ॥ अहवइ णरवइ जइ रजहाँ अद्ध ण इच्छहि । तो समरङ्गणे सर-धोरणि “एन्ति पडिच्छहि ॥ १०
[१४] लक्खण-वयण-दूसिओ अहर-विप्फुरन्तो ।
'मैरु मरु मारि मारि हणु हणु' भणन्तो ॥१ उहिउ पहु करवाल-विहत्थउ 'अच्छउँ ताम भरहु वीसत्थउ ॥ २ दूवहीं दूवत्तणु दरिसावहाँ छिन्दहों णासु सीसु मुण्डावहाँ ॥३ " लुणहों हत्थं विच्छारेंवि धाडहाँ गद्दहें चडियउ णयर भमाडाँ' ॥४
तं णिसुणेवि समुट्ठिय णरवर गलगजन्त णा िणव जलहर ॥ ५ 'हणु हणु हणु' भणन्त वहु-मच्छर णं कलि-काल-कियन्त-सणिच्छर ॥ ६ णं णिय-समय-चुक्क रयणायर णं उम्मेट्ठ पधाइय कुञ्जर ॥७
करें करवाल को वि उग्गामइ भीसण को वि गयासणि भामइ ॥ ८ 25 को वि भयङ्कर चाउ चडावइ सामिह मिच्चत्तणु दरिसावइ ॥९
॥ घत्ता ॥ , एवं णरिन्देहिँ फुरियाहर-भिउडि-करालेंहि ।
वेढिउ लक्खणु पञ्चाणणु जेम सियालेहि ॥ १० 13. 1 PS °मच्छरेण. 2 P सीहोयरो. 3 P S पलोइउ. 4 PS सणिरछरेण. 5 PE ठाइ.6PS महव्वलु.7 PS जो.8PS मोडइ. 9A दुक्कर, 10 PSA मारिवि. 11 PE वर भुंजहु. 12 A °सुहंकर. 13 5 वजहो अधुउ ण इच्छहिं. 14 P S पंति. ____ 14. 1 P reads दुवइ in the beginnirg. 2 P °दूसिउ.- 3 PS असरफुरतो A हविप्फुरन्तो. 4 This pada is metrically defective. 5A अच्छ हु. 6 PS भरह ताव, 7 P S हत्थु. 8 P चडावि, 's चाडिवि. . [१३] १ खंधारः (=स्कन्धावारः). २ चन्द्रः, ३ अर्धराज्यं न ददासि.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org