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२८६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
. [क० १४, १-९,१५, १-९
[१४] वलएवहों पर्णमिउ ता सुवेलु णं पढेम-जिगहों सेयंस-धवलु ॥ १ णिसि एक वसेंवि संचल्लु सेण्णु णं पङ्कय-वणु 'धुवाय-छण्णु ॥२ णं लीलऍ जिण-समसरणु जाइ पुणुरुत्तेहिं देवागमणु णा' ।। ३ थोवन्तरु वलु चिक्कमइ जाम लक्खिजइ लङ्काणयरि लम ॥ ४ आरामेंहिँ सीमेंहिं सरवरेंहिँ वहु-णन्दणवणेहिँ मणोहरेहिँ ॥५ पायार-वार-गोउर-घरेहिँ
रह-तिक चउक्केहि चच्चरेहिं ॥६ कामिणि-मन्दिरोहिँ सुहावणेहिँ चउहडेहि टेण्टहिं आवणेहिँ ॥ ७ दीहिय-विहार-चेइय-हरेहिँ धुवन्तेहिँ चिन्धेहिँ दीहरेहिँ ॥ ८
॥ घत्ता ॥ धय-णिवहु पवण-पडिकूलउ दूरत्थेहिँ विहावियउ । णं लक्खण-रामागमणेण रामण-मणु डोल्लावियउ ॥ ९
जं दिट्ठ लङ्क विज्जाहरेहिँ किउ हंसदीवे' आवासु तेहिं ॥ १ । हंसरहु रणङ्गणे णिजिणेवि *णं थिय रिउ-सिरे असि णिक्खणेवि ॥२
आवासिय भड पासेइयङ्ग रह मेल्लिय उज्जोत्तिय तुरङ्ग ॥३ खश्चियइँ विमाण वद्ध गोणं सण्णाह विमुक स-कवय-तोण ॥४ णाणाविह-विजाहर-समूह णं हंसदीवें थिउ हंस-जू हु॥५ . * सह वम्भे रुहें केसवेण णं मुक्क' पयाणंउ वासवेण ।। ६ 20 तहिँ सुहड के वि पभणन्ति एव 'जुज्झेबउ सुन्दरु अज्जु देव ॥७ अण्णेकु भणइ 'भो भीरु-चित्त उत्तावलिहूअउ काइँ मित्त' ॥ ८ .
॥ पत्ता ॥
. अणेक के वि णिय-भवणेहिँ समउ कलत्तेहिं सुहु रमहि । आराहेंवि अचेवि पुजेंवि जिणु पणमन्ति स ई भु हिँ ॥ ९
सुन्दर - कण्डं समत्तं ॥
14. 1 A पणमिउं. 2 Ps तो. 3 Ps परम. 4 A जिणेदहो. 5 P धुअगाय', s धुयगाय'. 6 s P“सीमहिं (s °हि). 7 P तिक्कहि, s तिक्किहि, A तिक्ख°. 8 P टेंटेहि, s टिंटिहि. 9 P s चामरेहिं (s हि). 10 P s वि विहाविय( P. °अ°)उ. . ____15. 1 PS °दीउ. 2 P marginally, Sणं थिउ रिउसरवरे पइसरेवि. 3 P णिक्खवेवि. 4 P Sण. 5 PS मुक्क सकवय सतोण, 6 PS वम्हें. 7 PS मुक्क. 8 A पयाणउं. 9 Ps भीर. 10 F S सयं. 11 P संमत्तं, 8 सम्मत्तं.
[१४] १ भ्रमरा गायनाश्च. २ गच्छति. ३ मार्गः. ४ त्रिमार्गः, ५ चतुर्मार्गः ६ रास-स्थान ७ हटोभाभिः. ८ अवलोकितः
[१५] १ तटे हट्टेभिः प्ररोहणश्च (?)
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