SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 311
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २७० ] सयम्भुकिउ पउमचरिउ पञ्च-पेयारेंहिं दहवयण सुहु दुक्खइँ जं जेम ठिय भो सुरकरि-करं-संकास-भुअ वेटिज्जइ जीउ मोह-मऍहिँ रयणायरु जिर्ह सरि-वाणिऍहिँ व - दंसणेहिं विहिं वेयहिँ च - विहेंहिँ आउ-परिमाणऍहिँ विहिं गोतेंहिं मइल - समुज्जलेंहिं " छाइज्जइ छिज्जइ भिज्जइ वि पिज्जइ वज्झइमुइ वि 5 15 णिय-कम्म-वसेण विहे दुक्खु भमि सहें दहवयण संवरु भावेंवि णियय-मणें भो सयल-भुअण-लच्छी- णिवास रक्खिज्जइ जीउ स-रांगु केम 20 दिज्जइ रक्खणु जो जासु मल दम्भों अं-दम्भु दोसहों अ-दोसु हिंसों अहिंस मोहों अ-मोहु णाणु वि अण्णाणहों दिढ-कवाडु अ-विओउ विओयहाँ दुण्णिवारु मिच्छत्तहाँ दिढ सम्मत्त- पयरु 25 परियार्णेवि एउ वरि रामों गम्पि Jain Education International [क० १२, १ - १०, १३, १-१० [१२] जीवों ढुक्क पाउ । तं भुवं सीउ ॥ १ आसव-अणुवेक्ख काइँ ण सुअ ॥ २ पञ्चाणणु जेम मत्त गऍहिं ॥ ३ पञ्च-विहॅहिँ णाणावरणिऍहिँ ॥ ४ अट्ठावीसहिँ वामोहहिं ॥ ५ इ-याहिं णामऍहिँ ॥ ६ पञ्चहि मि अन्तराइयं-खलेंहिं ॥ ७ मारिज्जइ खज्जइ पिज्जइ वि ॥ ८ जन्तेहिँ दलिज्जइ रुचइवि ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ जम्मण-मरणोद्धऍण । मैं गइन् वद्धऍ ॥ १० [१३] जाणेंवि एउ असारु । वज्जिज्जउ परयारु ॥ १ संवर- अणुवेक्खा सुणि दसास || २ णउ ढुकइ अयस-कलड्डु जे ॥ ३ कामों अ-कामु सलहों अ-सलु ॥ ४ पावहों अ-पावु रोसों अ-रोसु ॥ ५ माण अ-माणु लोहों अ-लोहु ॥ ६ "मच्छरों अ-मच्छरु दप्प-साई ॥ ७ जसु अयसह दुप्पइसारु वारु ॥ ८ भेल्लिज्जइ जे मैं ण देह-णयरु ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ णव- पीलुप्पल-णयण- जुय । करें लाइज्ड जणय- सुय ॥ १० 12. 1 P पयारिहि s पयारेहि, A पयारहि 24 पासु 3 Ps भुंजिव्वर 44 करिकरकर. 5 Ps जेम. 64. omits this. 7 P वम्मोहणेहिं, s वम्मोहणेंहि. 8 P s पंचविहेहि . 9 P अंतराय 104 मुञ्चद्द. 11 Ps रुज्झइ 12 P विहसेवउ, A विसहेवउ, 13 4 जेमइ. 13. 1 Ps A भाविवि, 2Ps सराउ 3Ps केव. 4 Ps जेष 5 P अडंभु. 6, omits this Pada 7Ps °साडू. 8Ps जेण 9PS लाइजइ. [१२] १ सुख-दुःख-रूपं स्वादं. २ सहनीयं. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy