SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 308
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कं०७१-१०,८,१-७] सुन्दरकण्डं-चउवण्णासमो संधि [२६७ [७] रावण गय-घड भड-णेवहु घर परियणु सुहि रजु । एत्तिउ छड्डेवि जोसि तुहुँ पर सुहु दुक्खु सहेजें ॥१ अाँ रावण णव-कुवलय दलक्ख किं ण सुइय एकत्ताणुवेक्ख ॥ २ जगें जीवहाँ पत्थि सहाउ को वि रइ वन्धइ मोह-वसेण तो वि ॥ ३ "इउ घरु इउ परियणु इउ कलत्तु" णउ वुज्झहि जिह सँयलेहिँ चत्तु ॥४ एक्केण कणेवउ विहुर-काले एक्केण वसेवउँ जल-वमाले ॥५ एक्केण वसेवउ तहिँ णिगोएँ एक्केण रुएबउँ पिय-विओऍ॥ ६ एक्केण भमेवउँ भव-समुद्दे कम्मोह-मोह-जलयर-रउद्दे॥७ एक्कों में दुक्खु एकहों में सुक्खु एकहाँ जै वन्धु एकहाँ जें मोक्खु ॥ ८ ॥ एक्कों "पाउ एकहों धम्मु एकहों जें मरणु एक्कहाँ जे जम्मु ॥९ ॥ घत्ता ॥ तहिँ तेहएँ विहुरे ___ सयण-सयाइँ ण दुक्कियई। पर वेणि सया ई जीवों दुक्किय-सुकियइँ॥१० [८] 'रावण जुत्ताजुत्त तुहुँ चिन्तेंवि णियय-मणेण । अण्णु सरीरु वि अण्णु जिउ विहडइ एउ खणेण' ॥१ पुणु वि पडीवउ उववण-मद्दणु कहइ हियत्तणेण मरु-णन्दणु ॥२ अण्णत्ताणुवेक्ख दहगीवों - अण्णु सरीरु 'अण्णु गुणु जीवहाँ ॥३ अण्णहिँ तणउँ धुण्णु धणु जोवणु अण्णहिँ तणउ सयणु घर परियणु॥ ४ ॥ अण्णहिँ तणउँ कलत्तु लइजइ अण्णहिँ तणउ तणउँ उप्पजइ ॥५ कइ.वि दिवस गय मेलावकें पुणु विहडन्ति मरन्तें एकें ॥६ अण्णहिँ जीउ सरीरु वि अण्णहिँ अण्णहिँ घर घरिणि वि अण्णण्णाहिँ ॥ ७ 7. 1 P°निवद्धहु. 2 P छंड्डिव, S च्छड्डिवि, A छड्डाहि. 3 A जहि. 4 P S सहिज, A सहेज. 5 P णाहिं, S णाहि. 6 A सयलेण. 7 P A कणेवउ. 8 P सुएवउ जरपयालि recording A's reading marginally, s सुयेव्वउ जरपयालि. 9 P A वसेपउ. 10 A निओए. 11 A. omits the text up to भमेव्वउ in line 7. 12 P रुइव्वउ, S स्येव्वउ. 13 P भमेवउ 14 A, omits एकहो जे पाउ. 15 PS जि. 16 P सहायइ, A स. 17 A हो. 18 PS सुक्किय-दुक्कियइ. 8. 1 P 8 तुह, A तुहु. 2 P S A चिंतिवि. 3 A. omits this Pada. 4 P.तणउं. 5 PA तणउं. 6 A तणउं. 7 P दिनह, s दियह. 8 P कय. [६] १ न श्रुता. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy