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________________ के० १२, ६-१०, १३, १-१०] . सुन्दरकण्डं-एकवण्णासमो संघि [२३९ गम्मइ व जइ. वि णिय-कुलहरु विणु भत्तारें गर्मणु असुन्दरु ॥६ जणवउ होइ दुगुञ्छण-सीलउ खल-सहाउ णिय-चित्तें मइलउ ॥ ७ जहिँ जे अजुत्तु तहिँ जें आसङ्कइ मणु रवि सक्को वि ण सक्कइ ॥८ णिहएँ दसौणणे जय-जय सदें मइँ जाएवउ सहुँ वलहवें ॥९ ॥ घत्ता ॥ जाहि वच्छ अच्छामि हउँ णिम्मल-दसरह-वंसुब्भवहाँ । लइ चूडामणि महु तर्णउ अहिणाणु समप्पहि राहवहाँ ॥ १० [१३] अण्णु वि आलिङ्गेवि गुण-घणउँ सन्देसउ अक्खु महु त्तणंउ । “वल तुज्झु विओएं जणय-सुय थियं लीह-विसेस ण कह वि मुअ॥१॥ झीण मयंक-लेह गह-गहिय व झीण सुरिन्द-रिद्धि तव-रहिय व ॥२ झीण कुदेस-मज्झै वासाणि प झीणाऽवुह-मुहें सुकइ-सुवाणि व ॥ ३ झीण दिवायर-दंसणे रत्ति व झीण कु-जणवऍ जिणवर-भत्ति व॥४ झीण दुभिक्खें अत्थ-संपत्ति व झीण वुढत्तणेण वल-सत्ति व ॥ ५ झीण चरित्त-विहूणहों कित्ति व झीण कु-कुलहरें कुलवहु-णित्ति ॥ ६ ॥ अण्णु वि दसरह-वंस-पगासहाँ वच्छत्थलें जय-लच्छि-णिवासहाँ ॥७ . रणे दुबारस्वइ रि-विणिवारहों तहाँ सन्देसउ णेहि कुमारहों ॥ ८ वुच्चइ "प होन्तेण वि लक्खण अच्छइ सीय रुयन्ति' अलक्खण ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ ‘णउ देवेंहिँ णउ दाणहिँ णउ रामें वइरि-वियारऍण। । पर मारेबउँ दहवयणु स ई भु अ-जुअलेण तुहारऍण"" ॥१० * [५१. एकवण्णासमो संधि] • 'तं चूडामणि लेवि गउ लच्छि-णिवासहाँ अखलिय-माणहों। __णं सुर-करि कमलिणि-वणहाँ मारुइ वलिउ समुहु उंजाणों ॥ 5 P S जइ वि वच्छ. 6 PS गवणु. 7 SA तणउं. ____13. 1 PS मालिंगणु. 2 A°धणउं. 3 P तणउं, तणउ. 4 PS पिय. 5 PS भियंक'. 6A वुद्ध(corrected as ड्ढ)त्तणे वलसंपत्ति व. 7 Ps रुयंती लक्खण. 8 P S असुर° 9 P A मारेवउ. 1. 1 P. omits this stanza; A. omits it except सुमुहूं उजाणहो. [१३] राहु-गृहीतेव. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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