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०९,५-१०, १०, १-१०,११,१] सुन्दरकण्डं-पण्णासमो संधि [२३७ जं पुहई-असघरु विद्धंसिर तं पर-वलु दहमुहेंण विणासिउ ॥५ जं परिचित्त लङ्क रयणीयरें सा 'मिहिलिय पइसारिय सिरिहरें' ॥६ तं णिसुणेवि अण्णेक्क पवोल्लिय गग्गर-वयणी अंसु-जलोल्लिय ॥ ७ 'अवसें सिविणउ होई आसुन्दरु जहिँ पडिवक्खहाँ पक्खिउ सुन्दरु ॥८ मुणिवर-भासिउ ढुक्कु पमाणहों जिह लकहें विणासु उजाणहाँ ॥९ ।
॥ घत्ता ।। एहु सिविणउँ सीयहें सहलु जसु रामहों वि जउ जणदणहों । सहुँ परिवार सहुँ वलेंण खय-कालु पढुकु दसाणणों ॥१०
[१०] तहिँ अवसर पीण-पओहरिएँ अरुणुग्गमें लङ्कासुन्दरिएँ। "
इर-अइरउ विणि मि पेसियउ हणुवन्तहों पासु गवेसियउ ॥ १ जहिँ उजाणे परिट्ठिउ पावणि सयल-णरिन्द-विन्द-चूडामणि ॥२ तहिँ संपत्तउ विणि वि जुर्वइउ णं सिव-सासऍ तवसिरि-सुगइउ ॥३. णं खम-दयउ जिणागमें दिवउ जयकारेप्पिणु पासे णिविट्टउ ॥४ तेण वि ताहिँ समउ पिउ जम्पेंवि कण्ठउ कञ्ची-दामु समप्पेंवि ॥ ५ 15 पुणु विष्णत्त हलीस-मणोहरि 'भोअणु तुम्ह केम परमेसरि' ॥ ६ . अक्खइ सीय समीरण-पुत्तहाँ वासर एकवीस मइँ भुत्तहाँ ॥७ जाम ण पत्तं वत्त भत्तारहों ताम णिवित्ति मज्झु आहारहों ॥८ अज्जु णवर परिपुण्ण मणोरह तं जें भोज्णु जं सुअ रामहाँ कह' ॥९
॥ घत्ता ॥ तं णिसुणेवि पवणहाँ सुऍण अवलोइउ मुहु अइरहे सणउ। .. 'गम्पिणु अक्खु विहीसणों वुच्चइ सीयहें करि पारणउ ॥ १०
[११] इरे तुहु मि जाहि परमेसरिहें तं मन्दिरु लङ्कासुन्दरिहें ।
लहु भोयणु आणहि मणहरउ जं स-रसु स-णेहेउ जिहँ सुरउ ॥ १ 25 7 PS A रयणायरि. 8A मेहहि. 9PS सुइणउ एहु, A सिविणउं. •10 P S जं. 11 A पक्खिउं. 12 P S सुइणउ, A सिविणउं.
10. 1 A एरउ. 2 PS पइट्ठउ. 3 जुवयउ, A जुअइउ. 4 PS °दमउ, 5 PS णवरि. 6 PS भुत्तु. 7 PS राहवकह. 8 PS तहि अवसरि. 9 A तणउं. 10 PS करि सीयहि. 11 A पारणलं. 11. 1 P सलोणउं, 8 सलोणउ. 2 F जेह. [९] १ सीता.
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