________________
१६६
पउमचरिउ [क०७, ६-९,८,१-९,९,१-६ खेडिये अंणडुह व जलधारॅहिँ ताम दसाणणु वरुण-कुमारहिँ ॥ ६ आयामेंवि सबहिँ समकण्डिउ रहु सण्णाहु महाघउ खण्डिउ ॥ ७ तं णिएवि णिय-कुल-णेयारे सरहसेण हणुर्वन्त-कुमारें ॥८
॥ घत्ता॥ रणउहें पइसन्तें वइरि वहन्तें रावणु उबेढावियउ । अवियाणियं-काएं णं दुबाएं रवि मेहहँ मेल्लावियउ ॥ ९
[८] सयल वि सत्तु सत्तु-पडिकूलें संवेढेंवि विजा-लङ्गलें ॥१
लेइ ण लेइ जाम मरु-णन्दणु ताम पधाइउ वरुणु स-सन्दणु ॥२ 10 'अरें खल खुद्द पाव वेलु वाणर कहिँ संचरहि सण्ड अहवा णर' ॥ ३
तं णिसुणेप्पिणु बलिउ कइद्धउ सीहु व सीहहाँ वेहाविद्धउ ॥४ विण्णि वि किर भिडन्ति दणु-दारण णागपास-लङ्गल-प्पहरण ॥ ५ ताम दसाणणु रहवरु वाहेवि अन्तर थिउ रण-भूमि पसाहेवि ॥६
"और वलु वलु हयास अ माणव मइँ कुविएण ण देव ण दाणव ॥ ७ 15 जं किउ जम-मियङ्क-धणयकहुँ सहस-किरण-णलकुवर-सकहुँ ॥ ८
॥ घत्ता ॥ अवरंहु मि सुरिन्दहुँ गरवर-विन्दहुँ दिण्णइँ आसि जाइँ जाइँ। परिहव-दुर्मइत्तइँ फलइँ विचित्तइँ तुज्झु वि देमि ताइँ ताई ॥९
[९] 20 तं णिसुणेवि अतुलिय-माहप्पें णिब्भच्छिउ जलकन्तहों वप्पें ॥१ 'लङ्काहिव हेवाइउ अवरेंहिँ सूर-कुवेर-पुरन्दर-अमरेंहिँ ॥२ हउँ पुणु वरुणु वरुणु फलु दावमि पइँ दहमुह-दवग्गि उल्हावमि' ॥३ दोच्छिउ रावणेण एत्थन्तरें 'केत्तिउ गजहि सुहडब्भन्तरें ॥४
अहिमुहु थक्कु ढुक्कु वलु वुझंहि सामण्णाउहँहि लइ जु.हि ॥ ५ 23 मोहण-धम्भण-डहण-समत्यहिँ को वि ण पहरइ दिवहिँ अत्थेंहिँ' ॥ ६
7. 1 P marginally corrects to फेडिय. 2 PS अणु/ह. 3 A जलवारहिं. 4 Pहणुमंत°, S हणुवंतु. 5 A कयंतें. 6 PS अविआणिअ. 7 P दुवाएं, S दुब्वायं. 8 P मेहहु, s मेहहो.
8. 1 PS सयलु. 2 P S °णंगूल'. 3 A °सपहरण, 4 P उरें, s उरे, A उरे. 5 PS भियंकु. 6 PS °धणयकहो. 7 P S °सकहो. 8 P S अवरह. 9 PS सुरिंदहो. 10 3 °दुम्मत्तइ, A दुमत्ता,
9. 1 PS थक्कु. 2 S A वुज्झहु. 3 s A जुज्झहु. २ वृषभ इव. ३ बाणैः वेष्टितः. ४ नायकेन. [८] १ हनूवंतेन. २ व्याधुटः (?). ३ मम सन्मुखम्. ४ परिभववृक्षोत्पनानि. [९] १ गर्व नीतः.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org