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पउमचरिउ [क०३, ३-१०,४,१०९,५, १-३ चुम्वेवि उच्चोलिहिँ वइसारिउ वारवार पुणु साहुक्कारिउ ॥ ३ 'धण्णउ पवणु जासु तुहुँ गन्दणु भरहु जेम पुरएवंहों णन्दणु' ॥४ एम कुसल-पिय-महुरालाहिं कङ्कण-कञ्चीदाम-कलाहिँ ॥५ तं हणुवन्त कुमार पपुजेवि वरुणहाँ उप्परि गंउ गलगजेवि ॥ ६ । 5 वेलन्धर-धरें मुक्क-पयाणउ थिउ वलु सरयब्भ-उल-समाणउ ॥ ७.
कहि मि सम्वु-खर-दूसण-राणा कहि मि हणुवं-णल-णील-पहाणा ॥८ कहि मि कुमुअ-सुग्गीवङ्गङ्गय णं थिय थट्टेहिँ मत्त महागय ॥ ९
॥घत्ता
॥
' रेहइ णिसियर-वलु वड्डिय-कलयलु थडेंहिँ थडेंहिँ आवासियउ । "... णं दहमुह-केरउ विजय-जणेरउ पुण्ण-पुञ्ज पुजेहिँ थियउ॥१०
[४] तो एत्थन्तर रणे णिकरुणहाँ चर-पुरिसेंहिँ जाणाविउ वरुणहाँ ॥१ 'देव देव किं अच्छहि अविचलु वेलन्धरै आवासिउ पर-वलु' ॥२
चारहुँ तणउ वयणु णिसुणेप्पिणु वरुणु णराहिउ ओसारेप्पिणु ॥ ३ 15 मन्तिहिँ कण्ण-जाउ तहाँ दिजइ 'केर दसाणण-केरी किज्जइ ॥४
जेण धणउ समरङ्गणे वकिउ तिजगविहूसणु वारणु वसिकिउ ॥ ५ जें अट्ठावउ गिरि उद्धरियउ माहेसर-वइ णरवइ धरियउ ॥ ६ जेण णिरत्थीकिउ णल-कुबरु ससहरु सूरु कुवेरु पुरन्दरु ॥७ तेण समाणु कवणु किर आहउ केर करन्तहुँ कवणु पराहउ ॥ ८
॥ घत्ता ॥ तं णिसुणेवि दुद्धरु वरुणु धणुद्धरु पजलिउ कोव-हुवासणेण । 'जइयहुँ खर-दूसण जिय वेण्णि मि जण तइउ काइँ किउ रावणेण' ॥ ९
एव भणेवि भुवणे जस-लुद्धउ सरहसु वरुणु राउ सण्णद्धउ ॥१ 25 करि-मयरासणु विप्फुरियाहरु दारुण-णागपास-पहरण-करु ॥२
ताडिय समर-भेरि उब्भिय धय सारि-सज्ज किय मत्त महागय ॥ ३ 2 P S अच्छोलिहिं. 3 A पुरुएवा. 4 P S कुसलु. 5 P तूरालावहि. 6 सइ. 7 Ps वेलंधरे. 8 A मुक्क. 9 PS हणुअं.
4. 1 P वरुण. 2s तिजय°. 3 P रावणु. 4 A णराहिउ उद्धरियउ. 5 P करतउ, 3 करंतहु. 6 'Ps °हुआसणेण. 7 P तइअहं, S तइयह. 8 P राम्बणेण, ____5. 1s भुवेणे, A भुअण.
[५] १ अंवारी:
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