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पउमचरिउ [क० १७,११,१८,१-१00१,१-३
॥ घत्ता ॥ मउणु लएवि परिट्ठियउ णउ चवइ ण चल्लइ झाण-परु । जाय भन्ति मणे संबहु मि 'कट्ठमउ किण्ण णिम्मविउ णरु' ॥ ११
[१८] पुणु सिलोउ अवणीयले लिहिउ स-हत्थेण ।
'अञ्जणाएँ मुइयाएँ मरमि परमत्थेण ॥ १ जीवन्तिहें णिसुणमि वत्त जइ तो वोल्लमि लइ एत्तडिय गई' ॥२ तं णिसुणेवि हणुरुह-राणऍण वज्जरियं वत्त परिजाणऍण ॥ ३ तामरस-ल्हास-सरिसाणणउ विणि मि वसन्तमालञ्जणउ ॥४ 10 जिह उभय-पुरहुँ परिघल्लियउ जिंह वणे भमियउ एक्कल्लियउ ॥ ५ जिह हरिवरेण उवसग्गु किउ अट्ठावरण जिहँ उवसमिउ ॥ ६ जिह लडु पुत्तु भूसणु इलहें जिह णहें णिजन्तु पडिउ सिलहें ॥७ सिरिसइलु गाउँ हणुवन्तु जिह वित्तन्तु असेसु वि कहिउ तिह ॥ ८ तं वयणु सुणेवि समुट्ठियउ पडिसूरें णिय-णयरहों णियउ ॥ ९
॥ घत्ता ॥ मिलिउ पहञ्जणु अञ्जणहाँ वेण्णि मि णिय-कहउ कहन्ता । हणुरुह-दीवें परिट्ठियइँ थिरु रज्जु से इं भु अन्ताइँ ॥ १०
[२०. वीसमो संधि] वद्धन्तउ पावणि भड-चूडामणि जाव जुवाण-भावे चडइ। 20 तहिँ अवसरे रावणु सुर-संतावणु रणउहें वरुणहों अभिडइ ।।
[१] दूआगमणे कोउ संवज्झइ सइँ सरहसु दसासु सण्णज्झइ ॥१ परिवेढिउ रयणियर-सहासेंहिँ पेसिय सासणहर चउपासेंहिँ ॥२ खर-दूसण-सुग्गीव-णरिन्दहुँ णल-णीलहुँ माहिन्द-महिन्दहुँ ॥३ 9 Ps सो णवरु, A झाण यरु. 10 A सव्वह. 11 PS कित्त, किंत.
18. 1 P's धरणियले. 2 A मुइयए मरामि. 3 P 8 जीवंतिय. 4 PS बजरिउ. 5 PS परिजाणियण. 6 A तामरिस'. 7 A °पुरहं. 8 A जिम. 9 s जं. 10 P S भूसण. 11 PS सिरिसयलु. 12 P सइ, सयं.
1. 1 PS वटुंतउ. 2 Ps दूआगमेण. [१] १ हनूवन्तः. २ दूताः.
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