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क०६,९,७, १-९,८,१-७]
चउदहमो संधि
॥ घत्ता ॥ विदुम-मरगर्य- इन्दणील-सब- चामियर-हार-संघाऍहिँ। वहु-वण्णुजलु
णावइ णहयलु सुरधणु-घण-विजु-वलायहिँ ॥९
[७] का वि करन्ति केलि सहुँ राएं पहणई कोमल-कुवलय-धाएं ॥१ । का वि मुद्ध दिट्टिएँ सुविसालऍ का वि णवल्लऍ मल्लिय-मालऍ ॥२ का वि सुर्यन्धेहिँ पार्डलि-हुल्लेहिँ का वि सु-पूयफलेंहि वउल्लेहि ॥ ३ का वि जुण्ण-पण्णहिँ पट्टणिऍहिँ का वि रयण-मणि-अवलम्वणिऍहिँ ॥४ का वि विलेवणेहिँ उवरियहिँ का वि सुरहि-दवणा-मञ्जरियहिँ ॥ ५ कहें वि गुज्झु जलें अद्धम्मिल्लंउ णं मैयरहर-सिहरु सोहिल्लउ ॥ ६ ॥ कहें वि कसण रोमावलि दिट्ठी काम-वेणि णं गलेवि पइट्ठी ॥७ कहें वि थणोवरि ललइ अहोरणु णाइँ अणङ्गहाँ केरउ तोरणु ॥ ८
॥ घत्ता ॥ कहें वि स-रुहिरइँ दिट्ठइँ णहरइँ थण-सिहरोवरि सु-पहुत्तइँ । वेगेंणं वलग्गों मयण-तुरङ्गहों णं पायइँ छुडु छुडु खुत्तई ॥ ९ ॥
[८] तं जल-कील णिएवि पहाणहुँ जाय वोल्ल णयले गिाणहुँ ॥१।। पभणइ एकु हरिस-संपण्णउँ तिहुअणे सहसकिरणु पर धण्णउँ ॥ २ जुवई-सहासु जासु स-वियारउ विन्भम-हाव-भाव-वावारउ ॥ ३ णलिणि-वणु व दिणयर-कर-इच्छउ कुमुय-वणु व ससहर तण्णिच्छउ(?) ॥४॥ कालु जाइ जसु मयण-विलासें माणिणि-पत्तिज्जवणायासें ॥५ अच्छउ सुरउ जेण जगु मत्तउ जल-कीलऍ जि" किण्ण पजत्तउ' ॥६ तं णिसुणेवि अवरेक्कु पवोल्लिउ 'सहसकिरणु केवल सलिलोल्लिउ ॥ ७ 8 P S °मरगयई. 9 PS °सयइं. 10 PS चामीयर. 11 PS घणु, A wanting.
7. 1 P S राएहिं. 2 A पहणई. 3 P S °धाएहिं. 4 P S सुविसालइं. 5 PS मालइ. 6A णवल्लेहिं. 7 P S पाडल'. 8 PS अमिल्लउ, A अद्भुम्मिलिउ. 9 Ps वेग्गेण. 10 PS पयई.
8. 1 A पहाणहं. 2 A णहयलि जाय वोल्ल. 3 P A गिव्वाणहं, 5 गिवाणहु. 4 A पभणई. 5s इक्क. 6 P A °संपण्णउं. 7 s धण्गओ, A धण्णउं. 8 5 जुबई. 9 P सविआर. 10 P इच्छउं, 5 °इच्छिउ. 11 P तणिच्छउं, S तणणिच्छउ, A तमिच्छउ. 12 PS जलकीलाए.
• [७] १ कामस्य, २ उपरितनवस्त्रम्.
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