________________
पउमचरिउ
[क०७, १-९८१-१
[७] तं "णिसुणेवि चोइउ अइरावउ णावइ णिज्झरन्तु कुलं-पावउ ॥१ मालि-पुरन्दर भिडिय परोप्पर विहि मि महाहउ जाउ भयङ्कर ॥२ जुझं. सेस-णरेंहिँ परिचत्त थिय पडिथिरइँ करेप्पिणु णेत्तइँ॥३ । इन्दयालु जिह तिह जोइजइ रक्खें" रक्ख-विज चिन्तिजइ ॥४
भीम-महाभीमेंहिं जा दिण्णी गोत्त-परम्पराएँ अवइण्णी ॥ ५ सा विकराल-वयण उद्धाइय परिवड्डिय गयणयले ण माइय ॥ ६ चिन्तिउ वरुण-पवण-जम-धणऍहिँ 'पत्तु इन्दु चरिऍहि अप्पणऍहि ॥ ७ दूएं" वुत्तु आसि रायगणें दुजउ मालि होइ समरङ्गणें ॥८
॥त्ता ॥ तहिँ पत्थावें पुरन्दरेण माहिन्द-विज लहु संभरिय । वड्डिय तहे वि चउग्गुणिय रवि-कन्तिऍ ससि-कन्ति व हरियं ॥ ९
[८] तं माहिन्द-विज अवलोऍवि' भणई सुमालि मालि-मुहै जोऍवि ॥१ 15 'तइयहुँ ण किउ महारउ वुत्तउ एवहिँ आयउ कालु णिरुत्तउ' ॥ २
तं णिसुणेवि पलम्व-भुय-डालें अमरिस-कुद्धएण रणे' माले ॥३ वायव-वारुण-अग्गेयत्थई मुक्कइँ तिण्णि मि गयई णिरत्थई ॥४ जिह अण्णाण-कण्णे जिण-वयण जिह गोढुङ्गणे" वर-मणि-रयण ॥ ५
जिह उवयार-सयइँ अकुलीणऍ वय जेम चारित्त-विहीणएँ ॥ ६ 20 गम्पि पहअणु मिलिउ पहञ्जणे वरुणो वरुणु हुँवासु हुआसणे ॥ ७ हसिउ पुरन्दरेण 'अरे माणव देव-समाण होन्ति किं दाणव' ॥ ८
॥घत्ता॥ भणइ मालि 'को देउ तुहुँ वलु पउरु सु सयलु णिरिक्खियउ । जं वन्धहि ओहद्दहि वि इन्दयालु पर सिक्खियउ' ॥९
7. 1s णिसुणिवि चोयउ. 2 उल. 3 5 °पुरंदरु. 4 A विहिंवि. 5 s जुज्झहे, A जुज्झजुज्झई. 6s परिचत्तइ.7 SA पडिथिरइ. 8 णेत्तइ. 9s तिह. 10s रक्खइ. 11 s°महाभीमहि. 128 °परंपराय अवयण्णी. 13 s धणयहिं. 14 A पुत्तु. 15A चरियहि. 16 8 अप्पणयहिं. 17 8 दूयहिं. 18 A मासि. 19 s तहि. 20 A परथावि. 21s संभरिया. 22 PS होवि. 23 S हरिया. .8. 1s अवलोयवि. 2 A भणई. 3 A मोहुं. 4 s जोयवि. 5 s तइयहो. 6 येवहि.7 s रण. 8 5 °यस्थइ. 9 वि. 10 s गयइ. 11 A गोटुंगणाए मणि°. 12 S अकुलीणइं. 13 s वयइ. 14 s विहूणइं. 15 s वरुणहु. 16 A हुयासु हुयासणे. 17 s देव तुहु. 18 s जहिं बडाहहि विह. 195 परि सिक्खियउ,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org