________________
15
કર
छुड धीरत्तणु होई मणूसहों ए भणेपिणु दिण्णु पयाण
20
हय-गय- रहवर - विरहि दीस वि-महीहरहों
raat asaन्तं महाइये 10 'अह अह रहणेर्डर-पुर-राणा दुज्जर लङ्काहि समरङ्गणें राय - लच्छि तइलोक्क-पियारी तेण समाणु विरोहु असुन्दरु' 'दूर भणेवि तेण तुहुँ चुक
तं जमकरणों अणुहरमाणजे उभय - सेढि - सामन्त पणट्ठा
गय ते मालि- दूय भिच्छिय
सण सुरिन्दु सुर- साहणु सण्णज्झइ तणु-हेइ हुआसणुं सणज्झइ जमु दण्ड- भयङ्करु
पउमचरिउ
[ क०३, ७-९ ४, १९:१
लच्छि कित्ति ओसर ण पासहों' ॥ ७ चलि सेण्णु सरह स-विमाणडें ॥ ८
को सो लङ्क - पुराहिवर जो जीवेसइ विहि" मि रणें
॥ धत्ता ॥
महिले गयणय ण माइयडें । मेहउलु णाइँ उद्धाइयउँ ॥ ९ [ ४ ]
W
णिसुर्णेवि रक्खों' तणउ पैंयाणउ ॥ १ गम्पणु इन्दों सरणें पइट्ठा ॥ २ मालि केरा दू पराइयें ॥ ३ कप्पु देवि " करें" सन्धि अयाणा ॥ ४ छुद्ध जेण णिग्घाउ जमाणणे ॥ ५ दासि जेम जसु पेसणगारी" ॥ ६ आऍहिँ" वयणेंहिँ कुविउँ पुरन्दरु ॥ ७ णं तो जम-दन्तरु ढुक्कउ ॥ ८ ॥ घत्ता ॥
को तुहुँ कि सन्धि कहो " तणियं । महि णीसावण्ण तहो यि ॥ ९ [५]
Jain Education International
दुबयणावमाण- पडिहत्थिये ॥ १ कुलिस-पाणि अइरावर्य वाहणु ॥ २ धूमद्ध कुयारि मेसासणु ॥ ३ महिसारूद पुरन्दर - किङ्करु ॥ ४
14 Ps होउ. 15 s उसरइ. 16 PS एव. 17 PA पयाणउं. 18 A चलिडं. 19 A सविमाणउं. 20 A णरवरिहिं. 21 4 महियलि गयणयलि. 22 P माइअउं, मायूयउ. 23 Ps विंझर 24Ps उद्घाइअउ.
4. 1 PA अणुहरमाणउं. 2 s वक्खहो. 3 A तणउं पयाणउं. 4 A उहय सेणि° 5P सरणि,
S सरण, A सरणु. 6 Ps तहि. 7 A वलेवंत. 8s महाइया. 9A हुअ. 10s पराइया. 11 P could not be used for the text from ° उरपुरराणा up to कुम्भवीढे अभि ( VIII 9 8 ), because folio no. 24 in P covering that portion is mis sing. 12s देहि . 13 5A करि. 14s जं. 15s पेसणयारी 16s आयहिं वयणेहि . 17 A कुइउ. 18 s तुहु. 19 A चुक्कउं 20s दंतंतरे. 21 A कहु. 22s तणिय. 23 A विहिं मि. 24 9 तहु तणिया
5. 1s पउहत्थिय, A पडहच्छिग्र. 24 सनज्झइ. 3 अइरावह. 4s हुयाखणु. 54 कुंजार 64 जमदंड.
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org