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________________ ८ . पउमचरिउ [क० ३,१०४, १-९,५,१-३ । घत्ता॥ गणिया रिऍ वाल णिय किक्किन्धों पासु किह ॥ सरि-सलिल-रहल्लिऍ(?) कलहंसों कलहंसि जिह ॥ १० [४] किक्किन्धों घल्लिये माल ताएँ णं मेहेसरहों सुलोयणाएँ ॥१ आसण्ण परिट्ठिय विमल-देह णं कणयगिरिहें णव-चन्दलेह ॥ २ विच्छाय जाय सयल वि णरिन्द ससि-जोण्हएँ विणु णं महिहरिन्द ॥३ णं कु-तवसि परम-गई चुर्क णं पङ्कय-सर रवि-कन्ति -मुक्क ॥४ एत्थन्तरें' सिरिमाला-वईहु कोवग्गि-पलीविउ विजयसीहु ॥ ५ 10 'अब्भन्तरें विजाहर-वराहुँ पइसारु दिण्णु किं वन्नरीहुँ ॥६ उद्दालहों वहु वरइत्तु हणहों" वाणर-वंस-यरहों" कन्दु खणहों' ॥ ७ तं वयणु सुणेप्पिणु अन्धएण हक्कारिउ अमरिस-कुद्धएण ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ 'विजाहर तुम्हें अम्हें कइद्धय कवणु छलु । 15 लइ पहरणु पाव जाम ण पाडमि सिर-कमलु' ॥९ [५] तं वयणु सुणेप्पिणु विजयसीहु उत्थरिउ पवर-भुवे-फलिह-दीहु ॥ १ अन्भिट्ट जुज्झु विजाहराहँ सिरिमाला-कारणे दुद्धराहँ ॥ २ साहणई मि अवरोप्पर भिडन्ति । णं सुकइ-कब-वयण घडन्ति' ॥३ ० भञ्जन्ति खम्भ विहडन्ति मञ्च दुक्कवि-कवालावं व कु-सञ्च ॥ ४ हय गय सुण्णासण संचरन्ति णं 'पंसुलि-लोयण परिभमन्ति ॥ ५ रणु विजाहर-वाणरहुँ जाम लङ्काहिउ पत्तु सुकेसु ताम ॥ ६ 15 P वालेवि, S वालवि. 16 s किहा. 17 PS रहल्लए. 18 s जिहा. 4. 1A घत्तिय. 2 A मालए. 3 PS आसपिण, 4 P कणयइरिहे, 5 कणयइरिहिं. 5 P गई हिं, 5 गई हि. 6 P चुक्कु corrected to चुक्क, S चुक्क, A भुक्क. 7 P एत्थंतरि, S इत्थंतरि. लीविउ.9 A अब्भंतरि. 10 PS °वराहं. 11 PS वाणराहं. 12 PS A उद्दालह. 13 s वरयत्तु. 14 A हणहु. 15 P S वाणरवंसुब्भउ. 16 A खणहु. 175 सुणेवि. 18 5 कइं. द्ध एण. 19 P अम्हि. 20 s कय द्धय. 21 A सिरि. 5. 1 P S °भुअ. 2 PS अभिट्ट, A आभिटु. 3 P S जुज्झ, A जुज्झे. 4 A विजाहराह. 5 PA साहणई मि, 8 साहण मिअ. 6 PS °वयणइ. 7 A धिडंति. 8 A °क हालाव. 9 PS वाणराहं. 105 सुकेसि. [४] १ तया कन्यया. २ अस्मिन् प्रस्तावे. [५] १ पुंश्चली. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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