________________
[पहिलड जयकारेंवि परम-मुणि झुणि जाहँ" अणिडिय रत्तिदिणु खण खणु वि जाहँ" ण विचलइ मणु
18
• मरणु वि कह होइ मुणीवर हँ" जिणवर जें" लीय माणे परहों (?) परियणु मणें मण्णिडें जेहिँ तिणु रि केम होइ भव-भय-रहियें
15
पउमचरिउ
10 जे काय - चाय-मणे" णिच्छिरिये ते" एक-मणेण सयं भुऍण
॥
पणवेपणु आइ भडाराहों पणवेष्पिणु' अजिय- जिणेसरहों
Jain Education International
www
तिहुअणलग्गण-खम्भुं गुरु पुणु आरम्भिय रामक है
[१]
[ क० १-९क० १, १-२
मुणि-वर्णे" जाहँ सिद्धन्त - झुणि ॥ १ जिणु हियऍ" ण फिट्टइ एक " खणु ॥ २ मणु मग्गइ जाहँ मोक्खें-गमणु ॥ ३ गमणु वि जहिँ गर्डे जम्म मरणु ॥ ४ मुणिवर जे लग्गा जिणवरहँ ॥ ५ परु केव" ढुक्कु जें" परियणहों ॥ ६ तिण- समउ णाहिँ" लहु णरय रिर्णु ॥ ७ भव - रहिय धम्मं -संजम - सहिये ॥ ८
5
घत्ता ॥
*
[ १. पढमौ संधि ]
39
(जे)" काम कोह-दुण्णय-तरियै । वन्दिय गुरु परमायरियें ॥ ९ ]
परमेट्ठि" णवेष्पिणु" । आरिसु जोएपिणु ॥ १ ॥
संसार - समुत्ताराहों ॥ १ दुज्जय-कन्दप्प - दप्प-हरहों ॥ २
A वयण.
8 This whole Kadavaka is missing in P 9s A जयकारिवि. 10s वयणि, 11s जाह 12s A हियइ. 13 इक्कु. 14s जाव. 15 A सुक्ख 16 sण. 17 A जम्मण. 18s मुणी सराह 19s मुणिवर 20s A जे. 21s पाण. 22 s किंव. 23s जिं, A जे. 24 A मणिउं. 25 A नाहि. 26s णरड् विणु. 27s रद्द. 28 g रहिया. 29s सम्म 30s ° सहिया. 31s मणि 32 s णिच्छया, A णिच्छिरया. 33 Metrically redundant 34 s°तरिया 35s सं. 36s गुण. 37s परमायरिया. 38 After this Kaḍavaka, s A read the following Sanskrit stanza:
भवति किल विनाशो दुर्जनैः संगतानामिति वदति जनोऽयं सर्वमेतद्धि मिथ्या ।
उरगफणिमणीनां किं निमित्तेन राजन्न भवति विषदोषो (s विषशेषो ) निर्विषो वा भुजङ्गः ॥ 39s षंभु. 40 A परमेष्ठि 41 P नवेष्पिणु. 42Ps कहा.
1. 1P समुद्द. 2 A पणविष्पिणु.
१ आर्षे च रामायणम्.
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org